ट्रम्प प्रशासन के नए वर्क परमिट नियम से हजारों भारतीय नौकरी खोने के कगार पर

ट्रम्प प्रशासन के वर्क परमिट बदलाव से भारतीयों की नौकरी पर खतरा

ट्रम्प प्रशासन के वर्क परमिट नियम में बड़े बदलाव के बाद अमेरिका में हजारों भारतीयों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) द्वारा जारी नए नियमों के तहत अब वर्क परमिट (Employment Authorisation Document – EAD) का ऑटोमैटिक एक्सटेंशन खत्म कर दिया गया है, जिससे भारतीय पेशेवर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

ट्रम्प प्रशासन वर्क परमिट नियम क्या है?

30 अक्टूबर 2025 से लागू हुए इस नए नियम के अनुसार, अब जो विदेशी नागरिक अपने EAD का नवीनीकरण करवाना चाहते हैं, उन्हें इसकी मंजूरी मिलने तक काम करने की अनुमति नहीं होगी। पहले तक कर्मचारी अपने EAD रिन्यूअल आवेदन की प्रक्रिया के दौरान 540 दिनों तक काम जारी रख सकते थे, लेकिन अब यह सुविधा समाप्त हो गई है।

DHS के अनुसार, “जो विदेशी नागरिक 30 अक्टूबर 2025 या उसके बाद EAD नवीनीकरण के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें अब ऑटोमैटिक एक्सटेंशन नहीं मिलेगा। यह कदम अमेरिका में काम करने वाले विदेशी नागरिकों की अधिक बार जांच और सत्यापन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।”

भारतीय पेशेवरों पर सबसे बड़ा असर

अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय H-1B वीजा धारक, H-4 वीजा पर काम करने वाले जीवनसाथी, STEM OPT पर छात्र और ग्रीन कार्ड आवेदक शामिल हैं। यह नया ट्रम्प प्रशासन के वर्क परमिट नियम इन्हीं वर्गों पर सबसे ज्यादा असर डालेगा। इमिग्रेशन विशेषज्ञों के अनुसार, यह नीति बदलाव उन भारतीयों के लिए गंभीर झटका है जो पहले से ही वीजा और ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे हुए हैं।

Manifest Law के वरिष्ठ इमिग्रेशन वकील हेनरी लिंडपेरे के अनुसार, “यह नियम अमेरिका में रोजगार प्राधिकरण के नवीनीकरण की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव है। भारतीय छात्रों, H-4 स्पाउसेस और ग्रीन कार्ड आवेदकों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा।”

नौकरी छिनने का बढ़ा खतरा

अब तक विदेशी कर्मचारी तब तक कानूनी रूप से काम कर सकते थे जब तक उनके रिन्यूअल आवेदन की मंजूरी नहीं मिल जाती थी। लेकिन नए नियम के बाद, यदि किसी व्यक्ति का EAD रिन्यूअल समय पर मंजूर नहीं होता, तो उसे तुरंत काम बंद करना होगा। यूएससीआईएस (USCIS) की प्रक्रिया का समय तीन से बारह महीने तक का हो सकता है, जिससे कई भारतीय पेशेवरों को नौकरी से अस्थायी या स्थायी रूप से हाथ धोना पड़ सकता है।

DHS ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा” का हिस्सा बताते हुए कहा कि अब सभी विदेशी कामगारों की सख्त स्क्रीनिंग और जांच की जाएगी। एजेंसी ने 2025 में कोलोराडो की एक घटना का हवाला देते हुए कहा कि ऑटो एक्सटेंशन बंद करना सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में जरूरी कदम है।

नए नियम में केवल वे विदेशी नागरिक शामिल नहीं होंगे जिनके पास टेम्परेरी प्रोटेक्टेड स्टेटस (TPS) है या जिन्हें विशेष कानूनी छूट दी गई है। DHS ने सलाह दी है कि विदेशी नागरिक अपने वर्क परमिट की समाप्ति से 180 दिन पहले नवीनीकरण का आवेदन करें ताकि नौकरी खोने का खतरा कम हो सके।

विशेषज्ञों के अनुसार, पहले से ही ग्रीन कार्ड बैकलॉग और लंबी वीजा प्रतीक्षा अवधि झेल रहे भारतीयों के लिए यह नियम और भी कठिनाइयाँ बढ़ा देगा। कई परिवारों को आय की हानि और कानूनी स्थिति में जोखिम झेलना पड़ सकता है। एक इमिग्रेशन कंसल्टेंट के अनुसार, “यह नीति अमेरिका में बसे हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए जबरन बेरोजगारी की लहर ला सकती है।”

ट्रम्प प्रशासन का यह निर्णय “अमेरिकी नौकरियों की रक्षा” के नाम पर लिया गया है। इससे पहले भी H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाया गया था और विदेशी कर्मचारियों की भर्ती पर कई राज्यों ने रोक लगाई थी।

अभी के लिए यह नया ट्रम्प प्रशासन के वर्क परमिट नियम अमेरिका के तकनीकी, स्वास्थ्य और अनुसंधान क्षेत्र में काम कर रहे भारतीय कर्मचारियों के लिए गहरी अनिश्चितता लेकर आया है।

H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि: भारतीय पेशेवरों के लिए नए अवसरों का द्वार

USCIS आधिकारिक वेबसाइट

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