अमेरिकी प्रतिबंधों का भारत पर असर: रूसी तेल व्यापार पर संकट गहराया
अमेरिकी प्रतिबंध रूसी तेल पर दुनिया के ऊर्जा बाज़ार में बड़ा बदलाव ला सकते हैं और भारत इसकी सीधी चपेट में आ सकता है। अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोज़नेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil), पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं ताकि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने का दबाव बनाया जा सके।
अमेरिकी प्रतिबंध रूसी तेल पर: वैश्विक और भारतीय असर
ट्रंप प्रशासन ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध रूसी तेल पर सीधे रूस की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे, क्योंकि तेल और गैस उद्योग मॉस्को के संघीय बजट का लगभग 25% हिस्सा बनाते हैं। ब्रिटेन और यूरोपीय संघ पहले ही इसी तरह के प्रतिबंध लागू कर चुके हैं, जबकि जापान को भी रूस से ऊर्जा आयात रोकने की सलाह दी गई है।
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध समाप्त करने से इनकार के बाद यह आवश्यक था कि रूस की उन कंपनियों पर कार्रवाई की जाए जो उसके “युद्ध मशीन” को फंड करती हैं।
भारत और चीन के लिए ऊर्जा चुनौती
रूस की सबसे बड़ी ऊर्जा ग्राहक चीन और भारत हैं। चीन ने पिछले वर्ष 100 मिलियन टन से अधिक रूसी कच्चा तेल खरीदा, जो उसके कुल ऊर्जा आयात का 20% था। भारत भी रूस के 2022 के यूक्रेन आक्रमण के बाद से सबसे बड़ा समुद्री रूसी कच्चे तेल खरीदार बन गया है, जो अब लगभग 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन आयात करता है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत रूस से अधिक तेल नहीं खरीदेगा, क्योंकि वह भी रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होते देखना चाहते हैं। हालांकि, भारत का कहना है कि उसकी प्राथमिकता अस्थिर ऊर्जा बाज़ार में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।
भारतीय रिफाइनरियों की सावधानीपूर्ण समीक्षा
रॉयटर्स के अनुसार, इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और मैंगलोर रिफाइनरी जैसी सरकारी कंपनियां अपने रूसी तेल आयात दस्तावेज़ों की समीक्षा कर रही हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सीधे रोज़नेफ्ट या लुकोइल से कच्चा तेल नहीं ले रहीं।
व्यापार सूत्रों के मुताबिक, भारतीय रिफाइनर सामान्यतः रूसी तेल सीधे नहीं खरीदते, बल्कि मध्यस्थों के ज़रिए आयात करते हैं। फिलहाल कंपनियों ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
रूस ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी प्रतिबंध रूसी तेल पर उसके कूटनीतिक प्रयासों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने कहा कि इन कदमों से यूक्रेन संघर्ष के समाधान की दिशा में बातचीत को नुकसान होगा।
उन्होंने कहा, “हमने पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रति मजबूत प्रतिरोध क्षमता विकसित कर ली है और हम अपनी आर्थिक और ऊर्जा क्षमता को मजबूती से बढ़ाते रहेंगे।”
पूर्व अमेरिकी विदेश विभाग अधिकारी एडवर्ड फिशमैन के अनुसार, इन अमेरिकी प्रतिबंध रूसी तेल पर का असर इस पर निर्भर करेगा कि क्या अमेरिका चीन, यूएई और भारत के उन बैंकों व रिफाइनरियों पर भी कार्रवाई करेगा जो रूसी कंपनियों से कारोबार करते हैं।
यदि यह प्रतिबंध लंबे समय तक जारी रहे, तो इससे वैश्विक कच्चे तेल के व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और भारत को अपनी ऊर्जा नीति में नए रणनीतिक निर्णय लेने पड़ सकते हैं।

