भारतीय रिजर्व बैंक की नई रणनीति: SBI विदेशी खाते और डी-डॉलराइजेशन

भारतीय रिजर्व बैंक की नई रणनीति के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के विदेशी खातों पर से प्रतिबंध हटाना और रुपए को मजबूत करने के लिए 5 बिलियन डॉलर की बिक्री, भारत की वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह नीति न केवल डी-डॉलराइजेशन को गति देती है बल्कि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में भारत की भूमिका को भी मजबूत करती है।
SBI विदेशी खाते की स्वतंत्रता
भारतीय रिजर्व बैंक की नई रणनीति के तहत, SBI अब अपने ग्लोबल नेटवर्क के माध्यम से भारतीय व्यापारियों और कंपनियों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकेगा। SWIFT सिस्टम पर निर्भरता कम होगी और स्थानीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। यह बदलाव SBI की अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति को और मजबूत करेगा, क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स में गति और सुरक्षा लाएगा, और स्थानीय करेंसी में सेटलमेंट को आसान बनाएगा।
रुपए को मजबूती: 5 बिलियन डॉलर की बिक्री
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपए को रिकॉर्ड निम्न स्तर से बचाने के लिए कम से कम 5 बिलियन डॉलर की बिक्री की है। इससे बाजार में स्थिरता आई, विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा और आयात लागत में कमी आई। NDF हस्तक्षेप रणनीति का उपयोग करके RBI ने अपने कदमों को और प्रभावी बनाया।
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भारत के रणनीतिक और आर्थिक लाभ
स्थानीय मुद्राओं में व्यापार से करेंसी रिस्क घटेगा, लेनदेन लागत कम होगी और सेटलमेंट समय घटेगा। भू-राजनीतिक दृष्टि से यह भारत को डॉलर-आधारित प्रतिबंधों से बचने, दक्षिण एशिया में वित्तीय नेतृत्व हासिल करने और डिजिटल पेमेंट्स में तकनीकी नेतृत्व पाने का अवसर देगा।
डी-डॉलराइजेशन की ओर बढ़ते कदम
हालांकि RBI का आधिकारिक फोकस डी-रिस्किंग पर है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर ये पहल डी-डॉलराइजेशन की दिशा में ही हैं। द्विपक्षीय व्यापार, क्षेत्रीय करेंसी स्वैप और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के विस्तार से रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण संभव है।
चुनौतियां और समाधान
रुपए की अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता बढ़ाने, तकनीकी ढांचे को विकसित करने और विभिन्न देशों के नियामकों के बीच समन्वय जैसी चुनौतियां मौजूद हैं। इनसे निपटने के लिए भारत सरकार और RBI को द्विपक्षीय समझौतों, फिनटेक साझेदारी और व्यापारिक समुदाय में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
निष्कर्ष
भारतीय रिजर्व बैंक की नई रणनीति और SBI विदेशी खातों की स्वतंत्रता भारत को वित्तीय स्वतंत्रता और वैश्विक मुद्रा विविधीकरण की दिशा में एक मजबूत पथ पर ले जा रही है। आने वाले वर्षों में यह बदलाव भारत को $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में समर्थन देगा।
अधिक जानकारी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट देखें।
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