भारत में ट्रंप के करीबी सर्जियो गोर बने अमेरिकी राजदूत, 190 अरब डॉलर व्यापार दांव पर

सर्जियो गोर की भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में नियुक्ति

भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद और तनावपूर्ण माहौल के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में अमेरिकी राजदूत और दक्षिण व मध्य एशिया मामलों के विशेष दूत के रूप में नियुक्त करने का ऐलान किया है। यह घोषणा उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ के जरिए की। इस नियुक्ति को दोनों देशों के रिश्तों में संभावित बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

कौन हैं सर्जियो गोर?

सर्जियो गोर लंबे समय से ट्रंप के करीबी माने जाते हैं। वे उनके राजनीतिक अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं और उनकी किताबों के प्रकाशन के साथ-साथ समर्थक PAC को भी संभालते रहे हैं। फिलहाल वे व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के निदेशक हैं। अब उन्हें एक साथ राजदूत और विशेष दूत की दोहरी जिम्मेदारी सौंपी जा रही है, हालांकि इसके लिए सीनेट की मंजूरी आवश्यक होगी।

भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव

यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर टकराव तेज है। हाल ही में अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर शुल्क 25% से बढ़ाकर 50% करने की योजना बनाई है। ट्रंप ने इसे रूस से भारत द्वारा सस्ता तेल खरीदने की “सज़ा” बताया है। इस कदम से 190 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के द्विपक्षीय व्यापार पर सीधा असर पड़ सकता है।

भारत पर अमेरिका की नाराज़गी

ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सस्ते तेल का लाभ उठा रहा है, जो अमेरिकी रणनीति के खिलाफ है। वहीं, चीन जो रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है, उस पर अभी तक कोई कठोर टैरिफ नहीं लगाया गया है। इससे इस पूरे विवाद की संवेदनशीलता और बढ़ गई है।

क्या बदल पाएंगे समीकरण?

सवाल यह है कि क्या सर्जियो गोर भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को कम कर पाएंगे या फिर ट्रंप की सख्त नीतियों को और आगे बढ़ाएंगे। उनकी नियुक्ति न केवल कूटनीतिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है। आने वाले महीनों में यह तय होगा कि यह फैसला रिश्तों में नरमी लाएगा या और तनाव बढ़ाएगा।

भारत में सर्जियो गोर की नियुक्ति का महत्व

सर्जियो गोर की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि ट्रंप भारत-अमेरिका रिश्तों को अपने एजेंडे के हिसाब से नया मोड़ देना चाहते हैं। ऐसे समय में जब व्यापारिक वार्ता टूट चुकी है और कृषि व डेयरी सेक्टर पर मतभेद बने हुए हैं, उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

 

External Source: U.S. Department of State

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