वैश्विक स्तर पर ट्रंप की टैरिफ नीति का जोरदार विरोध
डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति के खिलाफ दुनिया भर में प्रतिरोध तेज हो गया है। यूरोपीय संघ, ब्राजील और रूस जैसे देशों ने “जैसे को तैसा” की नीति अपनाते हुए अमेरिका के व्यापार युद्ध को चुनौती दी है।
यूरोपीय संघ का 84 अरब डॉलर का प्रतिशोधात्मक टैरिफ
यूरोपीय संघ ने अमेरिकी सामानों पर 84 अरब डॉलर के टैरिफ लगाकर स्पष्ट संदेश दिया है कि वह ट्रंप की आर्थिक धमकियों के आगे झुकने को तैयार नहीं है। EU नेताओं ने डिजिटल सेवाओं तक प्रतिबंध बढ़ाने की भी चेतावनी दी है।
इसके अलावा, ट्रंप की मांग कि NATO सदस्य देश अपने सैन्य बजट को GDP का 5% तक बढ़ाएं, यूरोपीय देशों को पसंद नहीं आई। यूरोप पहले से ही आर्थिक मंदी और बेरोजगारी से जूझ रहा है, ऐसे में यह मांग अनावश्यक बोझ साबित हो रही है।
ब्राजील का जनसमर्थित प्रतिकार
ब्राजील में 50% से अधिक लोगों ने ट्रंप की 50% टैरिफ नीति को एक आर्थिक हमला माना है। राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के प्रतिशोधात्मक उपायों को 62% ब्राजीलियों का समर्थन मिला है, जो मानते हैं कि ट्रंप की नीतियाँ राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं।
रूस का दृढ़ लेकिन शांत प्रतिक्रिया
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका के 100% टैरिफ की धमकी पर स्पष्ट किया कि रूस नए प्रतिबंधों का मुकाबला करने में सक्षम है। यह संकेत है कि रूस अमेरिकी आर्थिक दबाव के सामने झुकने वाला नहीं है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर टैरिफ का विनाशकारी असर
GDP और मजदूरी में भारी गिरावट
पेन व्हार्टन बजट मॉडल के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति से:
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अमेरिकी GDP में 8% की कमी
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मजदूरी में 7% की गिरावट
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एक मध्यम आय वाले परिवार को $58,000 का आजीवन नुकसान
प्रति परिवार $1,200 का अतिरिक्त कर बोझ
2025 तक, ट्रंप के टैरिफ के कारण हर अमेरिकी परिवार को $1,200 प्रति वर्ष अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है। यह एक छिपा हुआ कर (disguised tax) है, जिसका भुगतान आम नागरिकों को करना पड़ेगा।
वैश्विक मंदी का खतरा
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह व्यापार युद्ध 2008 के वित्तीय संकट जैसी वैश्विक मंदी ला सकता है। यह ग्रेट डिप्रेशन के बाद से सबसे बड़ा आर्थिक संकट हो सकता है।
घरेलू स्तर पर भी ट्रंप के खिलाफ बढ़ता विद्रोह
रिपब्लिकन सीनेटरों का विरोध
ट्रंप की अपनी ही पार्टी के रिपब्लिकन सीनेटर उनकी टैरिफ योजनाओं का विरोध कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि अमेरिका के भीतर भी ट्रंप की नीतियों को लेकर असहमति बढ़ रही है।
जनता का नकारात्मक रुख
चीन पर लगाए गए बढ़े हुए टैरिफ को लेकर अमेरिकी जनता में नाराजगी है। यह साफ संकेत है कि आम लोग इन नीतियों के नकारात्मक प्रभावों को समझ रहे हैं।
अमेरिकी आर्थिक शक्ति की नींव खतरे में
अमेरिकी आर्थिक विशेषाधिकार पर सवाल
निवेशक अब अमेरिकी आर्थिक विशिष्टता (economic exceptionalism) पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि टैरिफ के कारण महंगाई बढ़ी है और आर्थिक विकास धीमा हुआ है।
डॉलर की वैश्विक भूमिका पर संकट
व्हाइट हाउस वैश्विक अर्थव्यवस्था में डॉलर की प्रमुख भूमिका पर पुनर्विचार कर रहा है। यह अमेरिकी वित्तीय प्रभुत्व के लिए एक बड़ा खतरा है।
व्यापार युद्ध का दीर्घकालिक प्रभाव
व्यापारिक अनिश्चितता और बाजार में उथल-पुथल
ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने शेयर बाजारों को हिला दिया है और कंपनियों को अनिश्चितता में धकेल दिया है। अब कारोबारी योजनाओं को लचीला बनाने पर मजबूर हैं।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा
इन टैरिफ के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) बुरी तरह प्रभावित हुई है। उत्पादन लागत बढ़ी है और कंपनियों को अपनी रणनीतियाँ बदलनी पड़ रही हैं।
निष्कर्ष: “अमेरिका फर्स्ट” से “अमेरिका अकेला” की ओर
ट्रंप की धौंसपट्टी नीतियों और आक्रामक व्यापार युद्ध का नतीजा यह हो रहा है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है। यूरोपीय संघ, ब्राजील और रूस जैसे देश अब खुलकर अमेरिकी आर्थिक प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हैं।
घरेलू स्तर पर भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है:
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GDP और मजदूरी में गिरावट
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परिवारों पर अतिरिक्त कर का बोझ
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वैश्विक मंदी का खतरा
यह स्थिति “अमेरिका फर्स्ट” से “अमेरिका अकेला” की ओर बढ़ती दिख रही है। व्यापार युद्ध में अमेरिका का अलगाव बढ़ रहा है, और इसकी कीमत आम अमेरिकी नागरिकों को चुकानी पड़ रही है।
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