ट्रम्प की टैरिफ नीति का असर और भारत की रणनीतिक जीत

ट्रम्प की टैरिफ नीति को हाल ही में अमेरिकी अपील न्यायालय ने बड़ा झटका दिया है। अदालत ने 29 अगस्त 2025 को 7-4 के बहुमत से फैसले में ट्रम्प की अधिकांश वैश्विक टैरिफ को अवैध घोषित कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है। यह फैसला ट्रम्प की आर्थिक नीति की बुनियाद को हिला देता है, जिसमें उन्होंने टैरिफ को व्यापार नीति का केंद्रबिंदु बनाया था।
घरेलू मोर्चे पर बढ़ती चुनौतियां
न्यायिक फैसले के साथ ही ट्रम्प प्रशासन घरेलू राजनीतिक मोर्चे पर भी विरोध का सामना कर रहा है। शिकागो के मेयर ने सैन्य तैनाती का विरोध किया है, वहीं अमेरिकी यहूदी समुदाय ने ट्रम्प के उस दावे को नकारा है जिसमें भारत पर यूक्रेन युद्ध में ईंधन आपूर्ति का आरोप लगाया गया था। इससे स्पष्ट है कि ट्रम्प की टैरिफ नीति को लेकर अमेरिका के भीतर गहरे मतभेद हैं।
अमेरिकी कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले को बताया गैरकानूनी
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता विरोध
वैश्विक स्तर पर भी ट्रम्प की आक्रामक नीतियों का विरोध तेज हो गया है। भारत पर लगाए गए टैरिफ के खिलाफ कई देशों ने आवाज उठाई है। जापान ने अमेरिका से व्यापार वार्ता से इंकार कर दिया और भारत, चीन व जापान के बीच करीबी बढ़ी है। यह अमेरिका की गिरती वैश्विक स्थिति को दर्शाता है।
इसके विपरीत, भारत ने रणनीतिक सफलता हासिल की है। जुलाई 2025 तक भारत यूक्रेन का सबसे बड़ा डीजल आपूर्तिकर्ता बन गया, जिसकी हिस्सेदारी 15.5% तक पहुंच गई है, जो 2024 में मात्र 1.9% थी। जनवरी से जुलाई 2025 के बीच यह हिस्सा 10.2% रहा। भारत यह डीजल मुख्य रूप से रोमानिया और तुर्की के रास्ते भेज रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक परिपक्वता का परिचायक है। अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने अपने हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत की है।
निष्कर्षतः, ट्रम्प की टैरिफ नीति का उल्टा असर अमेरिका पर साफ दिखाई दे रहा है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं भारत इस नई बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर रहा है।
One thought on “ट्रम्प की टैरिफ नीति का असर और भारत की रणनीतिक जीत”