निक्की हेली ने कहा- चीन से निपटने के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी ज़रूरी

भारत-अमेरिका साझेदारी पर निक्की हेली का बयान
पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी को कमजोर करना मौजूदा वैश्विक हालात में रणनीतिक गलती होगी। उनका बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला किया है।
निक्की हेली ने हडसन इंस्टीट्यूट के बिल ड्रेक्सेल के साथ लिखे एक लेख में जोर दिया कि भारत-अमेरिका साझेदारी चीन के खिलाफ स्वाभाविक कदम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और चीन पड़ोसी होते हुए भी एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं, जिनके बीच आर्थिक टकराव और सीमा विवाद लंबे समय से जारी हैं।
रणनीतिक महत्व और साझेदारी की अहमियत
हेली ने कहा कि चीन की तुलना में भारत का उदय लोकतांत्रिक और मुक्त दुनिया के लिए खतरा नहीं है। अमेरिका के लिए यह जरूरी है कि भारत को मजबूत किया जाए ताकि वह चीन की आक्रामक नीतियों का मुकाबला कर सके। उन्होंने 1982 में इंदिरा गांधी और रोनाल्ड रीगन की मुलाकात को याद कर भारत-अमेरिका संबंधों की ऐतिहासिक गहराई पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदने या व्यापारिक सुरक्षा नीतियों के बावजूद चीन जैसा प्रतिद्वंद्वी नहीं माना जाना चाहिए। भारत को “प्रमुख लोकतांत्रिक साझेदार” के रूप में देखा जाना चाहिए।
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भारत की रणनीतिक भूमिका
निक्की हेली ने बताया कि आपूर्ति शृंखलाओं को चीन से हटाकर भारत की ओर स्थानांतरित करना अमेरिका के लिए अल्पकालिक लाभदायक होगा। इसके साथ ही रक्षा सहयोग और भारत का भौगोलिक महत्व भी चीन की नीतियों को चुनौती देता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2023 में भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो चुकी है, और युवा कार्यबल इसे दीर्घकालिक शक्ति बनाता है।
हेली ने चेतावनी दी कि अमेरिका को छोटे व्यापार विवादों को बड़ी रणनीतिक साझेदारी पर हावी नहीं होने देना चाहिए। उनके अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधी बातचीत इस गिरावट को रोक सकती है। उन्होंने कहा कि चीन से निपटने के लिए अमेरिका को भारत जैसे मित्र की जरूरत है।
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित करार दिया और आत्मनिर्भर भारत की नीति पर जोर दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी स्पष्ट कहा कि भारत के फैसले राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं।
हालात बिगड़ने के बावजूद, हेली और ड्रेक्सेल का मानना है कि दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच दशकों से बनी सद्भावना मौजूदा चुनौतियों को पार करने में मदद करेगी।