भारत का रक्षा खरीद से इनकार,ट्रंप टैरिफ युद्ध का व्यापक प्रभाव: रणनीतिक बदलाव
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, भारत ने अमेरिका से F‑35 लड़ाकू जेट खरीदने में अपनी अनिच्छा जताई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब रक्षा उपकरणों की संयुक्त निर्माण में अधिक रुचि दिखा रहा है।
यह निर्णय ट्रंप प्रशासन की आक्रामक व्यापार नीति का प्रत्यक्ष परिणाम है। भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे अब द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के बजाय स्वदेशी निर्माण पर ध्यान देना चाहते हैं।
भारत पर लगे नए टैरिफ
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा करते हुए कहा कि भारत के टैरिफ “दुनिया में सबसे ऊंचे” हैं। इसके अतिरिक्त, रूसी तेल और हथियारों की खरीद के लिए एक अतिरिक्त “पेनल्टी” का भी ऐलान किया गया है।
यह टैरिफ 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा और भारतीय निर्यात को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। 2024 में भारत का अमेरिका को निर्यात 87 बिलियन डॉलर था, जिसमें रत्न और आभूषण प्रमुख थे।
अमेरिकी परिवारों पर भारी वित्तीय बोझ
घरेलू खर्च में वृद्धि के आंकड़े
ट्रंप के टैरिफ युद्ध का सबसे गंभीर प्रभाव अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। टैक्स फाउंडेशन के अनुसार, 2025 में हर अमेरिकी परिवार को औसतन 1,300 डॉलर अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा।
येल यूनिवर्सिटी के बजट लैब के अनुमान के अनुसार:
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उपभोक्ता कीमतों में 2.3% की वृद्धि
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औसत प्रभावी टैरिफ दर 28% तक पहुंच गई
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यह 1901 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है
सबसे ज्यादा प्रभावित वस्तुएँ
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घरेलू फर्नीचर और उपकरण: दो-तिहाई घरेलू फर्नीचर आयातित होने के कारण, टैरिफ का सीधा प्रभाव इन वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा है।
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किराना सामान: भोजन सामग्री की कीमतों में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
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कपड़े और जूते: इन आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ी हैं।
टैरिफ की वास्तविक लागत
गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि टैरिफ की प्रत्यक्ष लागत का लगभग 70% उपभोक्ताओं पर स्थानांतरित हो जाता है। यह प्रतिशत घरेलू उत्पादकों की मूल्य निर्धारण रणनीति के आधार पर और भी बढ़ सकता है।
न्यूजवीक की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ अनुमान बताते हैं कि प्रत्येक परिवार को सालाना 5,000 डॉलर तक का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है।
भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य
रक्षा सहयोग में गिरावट
भारत के F‑35 सौदा ठुकराने का मतलब है कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है। यह अमेरिकी रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ा नुकसान है।
वैकल्पिक साझेदारी की तलाश
भारत अब अन्य देशों के साथ रक्षा साझेदारी बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रहा है। यह ट्रंप की “अमेरिका फ़र्स्ट” नीति के उल्टे परिणाम का उदाहरण है।
निष्कर्ष: दूरगामी परिणाम
ट्रंप टैरिफ युद्ध ने न केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों को बिगाड़ा है, बल्कि अमेरिकी परिवारों पर भी भारी वित्तीय बोझ डाला है। भारत जैसे रणनीतिक साझीदार का F‑35 सौदे से हटना इस नीति की असफलता का स्पष्ट संकेत है।
जब तक यह टैरिफ युद्ध जारी रहेगा, अमेरिकी उपभोक्ताओं को बढ़ती कीमतों और कम विकल्पों का सामना करना पड़ेगा। समय बताएगा कि यह नीति वास्तव में अमेरिकी हितों की सेवा करती है या नहीं।
External Authoritative Link Suggestion: Reuters
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