G20 शिखर सम्मेलन: PM मोदी का 6-सूत्रीय एजेंडा, क्लाइमेट डील और US बहिष्कार

G20 शिखर सम्मेलन की यह छवि वैश्विक नेताओं की बैठक को दर्शाती है, जिसमें प्रमुख मुद्दों और PM मोदी के प्रस्तावों पर चर्चा हुई।

G20 शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में शुरू हुआ, जहां विश्व नेताओं ने वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की। उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने हमेशा G20 की अखंडता को बनाए रखने और वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को प्रमुखता देने का प्रयास किया है। तीन दिनों तक चलने वाले इस G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत से ही अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई और आगमन के बाद कई देशों के नेताओं से महत्वपूर्ण बैठकें कीं।

PM मोदी का 6-सूत्रीय एजेंडा पेश: G20 शिखर सम्मेलन

PM मोदी ने G20 के लिए छह महत्त्वपूर्ण वैश्विक पहलें रखने का प्रस्ताव दिया। पहली पहल ड्रग तस्करी से जुड़े आतंकवाद के नेटवर्क को रोकने के लिए “G20 Initiative on Countering the Drug-Terror Nexus” की स्थापना का सुझाव था। दूसरी पहल G20 Global Healthcare Response Team बनाने की थी, जिसके माध्यम से सदस्य देशों के प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों को संकट की स्थिति में तुरंत तैनात किया जा सकेगा। तीसरा सुझाव अफ्रीका के कौशल विकास के लिए G20 Africa-Skills Multiplier Initiative प्रारंभ करने का था, जिससे महाद्वीप की कार्यशील आबादी को नए अवसर मिलेंगे।

उनका चौथा प्रस्ताव Global Traditional Knowledge Repository बनाने को लेकर था, ताकि पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित किया जा सके। इसके बाद उन्होंने G20 Open Satellite Data Partnership के गठन का सुझाव दिया, जो विभिन्न देशों के विकास कार्यों में मदद करेगा। आखिर में PM मोदी ने G20 Critical Minerals Circularity Initiative की वकालत की, जिससे महत्वपूर्ण खनिजों के बेहतर उपयोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा मिलेगा।

US बहिष्कार के बावजूद घोषणा पत्र पारित

इस G20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से एक संयुक्त घोषणा पत्र पारित किया गया। यह विशेष इसलिए रहा क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस प्रक्रिया में सहयोग नहीं किया। अमेरिकी पक्ष का आरोप था कि दक्षिण अफ्रीका ने G20 अध्यक्षता का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए किया और नेतृत्व परिवर्तन में बाधा डाली। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका ने शिखर सम्मेलन का बहिष्कार तक किया, जबकि अमेरिकी विदेश मंत्री ने पहले हुई G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था।

क्रिटिकल मिनरल्स और जलवायु वित्त पर वैश्विक सहमति

घोषणा में क्रिटिकल मिनरल्स फ्रेमवर्क को विशेष महत्व दिया गया। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वैश्विक दक्षिण के खनिज उत्पादक देशों को उनके संसाधनों का अधिकतम लाभ मिल सके। घोषणा में कहा गया कि दुनिया तेजी से तकनीकी बदलावों से गुजर रही है और ऐसे में क्रिटिकल मिनरल्स की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्पादक देशों को पर्याप्त निवेश, तकनीक और मूल्य संवर्धन नहीं मिल पा रहा है।

साथ ही, घोषणा में जलवायु वित्त को “बिलियन से ट्रिलियन” तक बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। ऊर्जा पहुंच में असमानता, विशेषकर अफ्रीकी देशों में, चिंता का विषय बनी हुई है। इसीलिए सतत ऊर्जा निवेश को विविधित और व्यापक बनाने पर सहमति बनी। इसके अलावा, बढ़ती जलवायु आपदाओं को देखते हुए शुरुआती चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने की बात भी कही गई।

यूक्रेन संकट का उल्लेख हालांकि संक्षेप में हुआ, परंतु पश्चिमी देशों ने शिखर सम्मेलन के इतर वार्ताओं में इसे प्राथमिक मुद्दा बनाए रखा। उन्होंने कहा कि शांति के लिए संतुलित, टिकाऊ और न्यायसंगत समाधान आवश्यक है और आगामी दिनों में समन्वय जारी रहेगा।

समग्र रूप से, G20 शिखर सम्मेलन ने जलवायु संकट, वैश्विक असमानता, महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों और शांति प्रयासों को केंद्र में रखा, जबकि राजनीतिक मतभेदों के बीच भी सहयोग की नई संभावनाएं उभरीं।

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