कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव: आंखों को नुकसान और कोविशील्ड से हार्ट अटैक की चिंता

कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव: आंखों और दिल पर असर

कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर अब पूरी दुनिया में चिंता बढ़ रही है। फाइजर की वैक्सीन से आंखों की समस्या और भारत में कोविशील्ड से हार्ट अटैक की खबरों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को सतर्क कर दिया है।

फाइजर वैक्सीन से आंखों को नुकसान: नई चिंता का विषय

तुर्की के अध्ययन में पाया गया कि फाइजर-बायोएनटेक कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव के रूप में कॉर्निया में मोटाई और संरचनात्मक बदलाव हो सकते हैं। लंबे समय में ये कॉर्निया एडीमा या बुलस केराटोपैथी जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

भारत में कोविशील्ड और दिल की समस्या: राष्ट्रीय चिंता

कोविशील्ड कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव में हार्ट अटैक और मायोकार्डाइटिस के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर 12–39 साल के पुरुषों में जोखिम ज्यादा देखा गया है।

वैश्विक स्तर पर कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव

1. मायोकार्डाइटिस और पेरिकार्डाइटिस

फाइजर और मॉडर्ना की दूसरी डोज के बाद मायोकार्डाइटिस के केस सामने आए हैं। हालांकि ये केस रेयर हैं, लेकिन इनका असर गंभीर हो सकता है।

2. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS)

J&J वैक्सीन के बाद GBS का खतरा 11 गुना बढ़ा देखा गया। फाइजर और मॉडर्ना में यह रिस्क नहीं बढ़ा।

3. थ्रॉम्बोटिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS)

कोविशील्ड वैक्सीन कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव के अंतर्गत TTS के मामलों से जुड़ी रही है। UK कोर्ट में AstraZeneca ने यह स्वीकार किया है।

भारत की स्थिति: आधिकारिक पुष्टि का इंतजार

भारत में कोविशील्ड के कारण हार्ट अटैक की पुष्टि अब तक नहीं हुई है, लेकिन मेडिकल प्रोफेशनल्स सतर्क हैं।

फार्मा इंडस्ट्री की भविष्य की रणनीति

1. बेहतर मॉनिटरिंग सिस्टम

अमेरिका में COVID वैक्सीन की निगरानी के लिए VAERS जैसे सिस्टम सक्रिय हैं।

2. अगली जेनेरेशन वैक्सीन का विकास

नई वैक्सीन कम दुष्प्रभावों के साथ बेहतर इम्युनिटी देने की ओर अग्रसर हैं।

3. पर्सनलाइज्ड मेडिसिन एप्रोच

भविष्य में वैक्सीन व्यक्ति विशेष के हिसाब से डिजाइन की जाएंगी – जैसे उम्र, लिंग और मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार।

भविष्य में क्या देखने को मिलेगा?

1. लॉन्ग-टर्म स्टडीज की जरूरत

आंखों के दुष्प्रभाव दुर्लभ हैं, लेकिन दीर्घकालिक अध्ययन जरूरी हैं।

2. नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

नैनो टेक्नोलॉजी, DNA और RNA बेस्ड वैक्सीन पर तेजी से काम हो रहा है।

3. रियल-टाइम सेफ्टी मॉनिटरिंग

AI आधारित सेफ्टी ट्रैकिंग और PROMs का उपयोग आने वाले समय में मानक बन सकता है।

निष्कर्ष: सच्चाई का सामना करने का वक्त

कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर अब कोई भ्रम नहीं बचा है। यह स्पष्ट है कि चाहे फाइजर हो या कोविशील्ड – वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।

इसलिए, पारदर्शिता, लॉन्ग-टर्म रिसर्च और मॉनिटरिंग ही भविष्य की कुंजी हैं।

🌐 External Authoritative Link Suggestion:

World Health Organization on COVID-19 Vaccine Safety:
https://www.who.int/news-room/questions-and-answers/item/vaccine-safety

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