अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव बढ़ा, दोहा समझौता हुआ बेअसर

अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव: दोहा समझौते की विफलता

अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव दोहा समझौते के बावजूद लगातार बढ़ता जा रहा है। 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए दोहा समझौते से इस क्षेत्र में शांति की उम्मीद जगी थी, लेकिन वास्तविकता बिल्कुल अलग साबित हुई। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्ध की चिंगारी न केवल बुझी नहीं, बल्कि और अधिक भड़क गई है।

टीटीपी की धमकी और पाकिस्तान की चुनौती

हाल ही में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को सीधी धमकी दी है। वीडियो संदेश में TTP के आतंकी काज़िम ने कहा, “अगर आप में हिम्मत है तो हमसे लड़ें।” यह अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव की गंभीरता को दर्शाता है। पाकिस्तान ने काज़िम की गिरफ्तारी पर 10 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया है।

पाकिस्तान अब एक विरोधाभासी स्थिति में है। दशकों तक तालिबान का समर्थन करने के बाद अब वही विचारधारा TTP के रूप में उसके खिलाफ खड़ी है। अफगानिस्तान से TTP आतंकवादी पाकिस्तान में घुसपैठ कर लगातार हमले कर रहे हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर बड़ा संकट मंडरा रहा है।

बल्ख हवाई अड्डा: भू-राजनीतिक टकराव का नया केंद्र

इस बीच अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव को और जटिल बनाता हुआ एक नया भू-राजनीतिक विवाद सामने आया है — उत्तरी अफगानिस्तान में स्थित बल्ख हवाई अड्डे का मुद्दा। यह हवाई अड्डा अब अमेरिका और एशियाई महाशक्तियों, विशेषकर चीन, के बीच टकराव का केंद्र बन चुका है।

बल्ख हवाई अड्डा मध्य एशिया का प्रवेश द्वार है। यह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की अहम कड़ी हो सकता है, जो अफगानिस्तान को चीन के वाकान कॉरिडोर से जोड़ता है। अमेरिका इस क्षेत्र में चीनी प्रभाव को रोकना चाहता है, जबकि चीन इसे अपनी आर्थिक विस्तार योजना के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है।

अमेरिका को चिंता है कि यदि चीन बल्ख हवाई अड्डे पर नियंत्रण पा लेता है, तो वह मध्य एशियाई देशों में अपना प्रभाव बढ़ा सकता है। वहीं चीन के लिए यह न केवल व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा बल्कि अपनी सैन्य उपस्थिति दर्ज कराने का अवसर भी है।

भारत के लिए बढ़ी कूटनीतिक चुनौती

यह पूरा घटनाक्रम भारत के लिए भी चिंता का विषय है। पाकिस्तान में अस्थिरता, अफगानिस्तान में तालिबान शासन और चीन का बढ़ता प्रभाव, तीनों मिलकर भारत की सुरक्षा और कूटनीति के लिए नई चुनौती पेश कर रहे हैं।

अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव इस बात का प्रमाण है कि दोहा समझौता शांति स्थापित करने में विफल रहा है। क्षेत्र में हिंसा जारी है, TTP जैसे आतंकी संगठन मजबूत हो रहे हैं और बल्ख जैसे रणनीतिक स्थलों पर महाशक्तियों का प्रभुत्व संघर्ष बढ़ रहा है।

स्पष्ट है कि अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में शांति की राह अभी लंबी और कठिन है, जहां हर राष्ट्र अपने हितों की रक्षा में जुटा है।

 

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