राजस्थान के रेगिस्तान में गेहूं उगाने की नई तकनीक

राजस्थान के रेगिस्तान में गेहूं उगाने की तकनीक

राजस्थान के रेगिस्तान में गेहूं उगाने की नई तकनीक ने कृषि विज्ञान में नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। थार रेगिस्तान की रेतीली भूमि पर वैज्ञानिकों ने अद्वितीय उपलब्धि दर्ज की है। पुष्कर के पास शोधकर्ताओं ने “सॉयलिफिकेशन” तकनीक का उपयोग कर पहली बार रेगिस्तानी भूमि में गेहूं की सफल खेती की।

सॉयलिफिकेशन तकनीक क्या है?

यह खास तकनीक एक स्वदेशी जैविक फॉर्मूले पर आधारित है, जो सूखी रेत को उपजाऊ मिट्टी में बदल देती है। प्राकृतिक घटकों से तैयार यह फॉर्मूला पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।

उत्पादन और जल उपयोग में अद्भुत सफलता

इस क्रांतिकारी पद्धति से प्राप्त आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। मात्र 100 वर्ग मीटर भूमि से 26 किलोग्राम गेहूं की पैदावार हुई। खास बात यह रही कि पूरी फसल अवधि में सिर्फ तीन बार सिंचाई की गई। न्यूनतम जल उपयोग के साथ अधिकतम उत्पादन इसे टिकाऊ कृषि का श्रेष्ठ उदाहरण बनाता है।

भविष्य की संभावनाएं और विस्तार

वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रयोग अब बाजरा और हरे चने पर भी किया जा रहा है। प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक हैं। यह तकनीक मरुस्थलीकरण को रोकने में भी सहायक होगी और थार रेगिस्तान के विस्तार पर लगाम लगाने में मदद करेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसे बड़े पैमाने पर अपनाया गया तो यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। राजस्थान की रेगिस्तानी भूमि कृषि योग्य बनकर देश की खाद्यान्न उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि सफल परीक्षण के बाद इस तकनीक को व्यावसायिक स्तर पर लागू किया जाएगा। इसके बाद यह केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत के अन्य शुष्क और रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी वरदान साबित होगी।

निष्कर्ष: राजस्थान के रेगिस्तान में गेहूं उगाने की तकनीक भारतीय कृषि विज्ञान के लिए मील का पत्थर है। यह नवाचार जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने का रास्ता खोलते हुए किसानों और स्थानीय निवासियों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकता है।

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