चिप इंडस्ट्री के बादशाह: ताइवान की TSMC अकेले बनाती है 60% चिप

हर स्मार्ट डिवाइस की रीढ़ हैं सेमीकंडक्टर चिप्स। चिप इंडस्ट्री के बादशाह माने जाने वाले केवल पांच देशों के पास ही इनका उत्पादन करने की क्षमता है। ताइवान, अमेरिका, साउथ कोरिया, चीन और जापान इस इंडस्ट्री पर राज करते हैं। खास बात यह है कि ताइवान की TSMC अकेले ही दुनिया की करीब 60% चिप बनाती है।
चिप के अंदर क्या होता है?
भले ही एक चिप बहुत छोटी लगे, लेकिन इसके भीतर अरबों सूक्ष्म ट्रांजिस्टर, डायोड, कैपेसिटर और रजिस्टर मौजूद होते हैं। ये सभी मिलकर बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं और सर्किट बनाते हैं। यही वजह है कि कंप्यूटर से लेकर स्मार्टफोन और स्पेसक्राफ्ट तक, हर स्मार्ट डिवाइस चिप के बिना अधूरी है।
ताइवान: सबसे बड़ा चिप हब
आज चिप इंडस्ट्री के बादशाह देशों में ताइवान सबसे ऊपर है। यहां की कंपनी TSMC दुनिया की 60% चिप बनाती है। यह कंपनी 2 नैनोमीटर तक की एडवांस चिप भी तैयार करती है, जो एप्पल, एनवीडिया, क्वालकॉम और एएमडी जैसे दिग्गज ब्रांड्स में इस्तेमाल होती हैं।
अमेरिका: डिजाइन और रिसर्च की ताकत
अमेरिका चिप डिजाइन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट का पावरहाउस है। इंटेल, एएमडी, एनवीडिया, क्वालकॉम और ब्रॉडकॉम जैसी कंपनियां यहां से वैश्विक स्तर पर छाई हुई हैं। EDA (Electronic Design Automation) और सेमीकंडक्टर सॉफ्टवेयर में भी अमेरिका का दबदबा है।
साउथ कोरिया: मेमोरी चिप का सम्राट
मेमोरी चिप प्रोडक्शन में दक्षिण कोरिया का कोई मुकाबला नहीं। DRAM और NAND फ्लैश मार्केट का लगभग 60% हिस्सा सैमसंग और एसके हाइनिक्स के पास है। अब कोरिया एआई चिप और अगली पीढ़ी की तकनीकों पर ध्यान दे रहा है।
चीन: सबसे बड़ा उपभोक्ता
चीन भी चिप इंडस्ट्री के बादशाह देशों में गिना जाता है। SMIC और यांग्तेज मेमोरी जैसी कंपनियां इसका उत्पादन करती हैं। खास बात यह है कि दुनिया की लगभग 30% चिप चीन में ही खप जाती हैं और वहीं से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद पूरी दुनिया में पहुंचते हैं।
जापान: सप्लाई चेन का आधार
जापान ग्लोबल चिप सप्लाई चेन का अहम हिस्सा है। टोक्यो इलेक्ट्रॉन, निकॉन और कैनन जैसी कंपनियां उन मशीनों और उपकरणों का निर्माण करती हैं जिनसे चिप बनती है।
दुनिया में चिप की खपत और भविष्य
डेलॉइट की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में ग्लोबल चिप मार्केट 627 अरब डॉलर का था। 2025 तक यह 697 अरब डॉलर और 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। एआई चिप इस वृद्धि का मुख्य ईंधन बनेगी।
भारत में चिप मार्केट और क्रांति
भारत भी चिप का एक बड़ा बाजार है। 2024-25 में इसका मूल्य 50 अरब डॉलर रहा। 2030 तक यह 110 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। भारत ने मेक इन इंडिया और सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। देश में अभी 6 राज्यों में 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स पर 1.60 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है।
निष्कर्ष: चिप इंडस्ट्री के बादशाह देश पूरी दुनिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा तय कर रहे हैं। आने वाले समय में भारत भी इस इंडस्ट्री में बड़ा योगदानकर्ता बन सकता है।