भारत में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता का ऐतिहासिक विश्लेषण

भारत में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता का सच: 1976 के बाद की हकीकत

प्रस्तावना: भारत में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को लेकर बहस वर्षों से चल रही है। खासकर 1976 के बाद संविधान में बदलाव के बाद यह विषय और भी प्रासंगिक हो गया। संविधान में समाजवाद: केवल शब्द या वास्तविक बदलाव? 1976 के आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द…

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भारत में सोशल मीडिया का राजनीतिक दुरुपयोग

भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग और राजनीति संकट: लोकतंत्र को खतरा

भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग बना लोकतंत्र के लिए खतरा आज भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की अनियंत्रित होड़ हमारे लोकतंत्र की नींव को चुनौती दे रही है। राजनीतिक दल मर्यादाओं को तोड़कर सत्ता के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। सोशल मीडिया: जागरूकता या दिग्भ्रम? सोशल मीडिया आज के…

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