UP Caste-Based Rallies Ban: अब FIR और Arrest Memo में नहीं दिखेगी जाति

UP Caste-Based Rallies Ban: उत्तर प्रदेश सरकार का ऐतिहासिक फैसला

UP Caste-Based Rallies Ban के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य में जाति आधारित रैलियों पर पूरी तरह प्रतिबंध होगा और पुलिस FIR, अरेस्ट मेमो व सरकारी दस्तावेजों में किसी की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया ऐतिहासिक निर्णय के अनुपालन में लिया गया है।

एफआईआर और सरकारी रिकॉर्ड्स से जाति का उल्लेख हटेगा

मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुसार, पुलिस रिकॉर्ड्स जैसे एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो और चार्जशीट में अब जाति नहीं लिखी जाएगी। सरकारी और कानूनी दस्तावेजों से जाति संबंधित कॉलम हटाए जाएंगे। UP Caste-Based Rallies Ban का उद्देश्य सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करना है। हालांकि, एससी/एसटी एक्ट जैसे विशेष मामलों में कानूनी जरूरत के अनुसार छूट रहेगी।

जाति आधारित रैलियों और सोशल मीडिया पर सख्ती

निर्देशों में जाति आधारित रैलियों या कार्यक्रमों पर पूर्ण प्रतिबंध की बात कही गई है। साथ ही सोशल मीडिया व इंटरनेट पर जाति का महिमामंडन या नफरत फैलाने वाले कंटेंट के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। UP Caste-Based Rallies Ban के माध्यम से सरकार सामाजिक सौहार्द और कानून व्यवस्था को मजबूत करना चाहती है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

19 सितंबर 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने प्रवीण छेत्री बनाम राज्य मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। प्रवीण छेत्री ने गिरफ्तारी के समय एफआईआर और जब्ती मेमो में अपनी जाति (भील) का उल्लेख होने पर आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने जाति का महिमामंडन ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार देते हुए पुलिस दस्तावेजीकरण में तत्काल बदलाव का आदेश दिया।

आधुनिक साधनों से पहचान संभव

कोर्ट ने डीजीपी के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि फिंगरप्रिंट, आधार, मोबाइल नंबर और माता-पिता के नाम जैसे आधुनिक साधनों से पहचान संभव है। इसलिए जाति आधारित पहचान की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद 21 सितंबर 2025 को मुख्य सचिव ने 10 बिंदुओं वाले आदेश जारी किए, जिनका फोकस जातिगत भेदभाव को जड़ से खत्म करना है।

पुलिस और सार्वजनिक स्थलों में बदलाव

पुलिस विभाग को NCRB और CCTNS सिस्टम से जाति संबंधित कॉलम हटाने का निर्देश दिया गया। थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और सार्वजनिक स्थलों से जाति आधारित संकेत, नारे और प्रतीक हटाए जाएंगे। केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में भी जाति-आधारित नारों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान किया जाएगा।

UP Caste-Based Rallies Ban के माध्यम से सरकार ने स्पष्ट किया है कि समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना उसकी प्राथमिकता है। यह कदम न केवल जातिगत भेदभाव को कम करेगा बल्कि राज्य में सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित करेगा।

स्रोत: इलाहाबाद हाईकोर्ट आधिकारिक वेबसाइट

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