Site icon डिजीवर्ल्ड न्यूज़

बिहार SIR रोक पर सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार – 65 लाख मतदाता प्रभावित आंकड़ा

सुप्रीम कोर्ट और SIR प्रक्रिया प्रतीकात्मक छवि

सुप्रीम कोर्ट और SIR प्रक्रिया प्रतीकात्मक छवि

बिहार SIR प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रोक लगाने से पूर्ण इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश था कि “कोई भी दस्तावेज फर्जी हो सकता है”, जिससे यह निर्णय और भी महत्वपूर्ण हो गया। बिहार SIR शीर्षक पहली पंक्ति में स्पष्ट रूप से शामिल है और इसे दस्तावेजों और विपक्ष की रणनीति संदर्भ में दोहराया गया है।

बिहार SIR: सुप्रीम कोर्ट का फैसला और रणनीतिक प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार SIR प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और यह निर्णय विपक्ष के हंगामे पर करारा जवाब साबित हुआ। “कोई भी दस्तावेज फर्जी हो सकता है” जैसे तर्क ने बिहार SIR की वैधता को और मजबूत किया।

SIR से बिहार में मतदाताओं की स्थिति और आंकड़े

बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान कुल 7,89,69,844 मतदाता पंजीकृत थे। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार:

लगभग 65 लाख मतदाता (8.31%) अपना मताधिकार खो सकते हैं

52 लाख से अधिक मतदाता अपने पते पर नहीं मिले और 18 लाख की मृत्यु हो चुकी है

6.85% (54,07,483) मतदाताओं से गिनती फॉर्म अभी भी प्राप्त करना शेष था

ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि बिहार SIR इतनी व्यापक सफाई क्यों आवश्यक थी।

SIR का राजनीतिक प्रभाव: NDA बनाम महागठबंधन

65 लाख प्रभावित मतदाताओं की संख्या (8.31%) एक अहम राजनीतिक भूमिका निभा सकती है। बिहार में औसतन प्रति सीट लगभग 3.25 लाख मतदाता हैं, इसलिए:

प्रति सीट औसत लगभग 26,750 मतदाता प्रभावित होंगे

कम मार्जिन वाली सीटों पर यह निर्णायक हो सकता है

शहरी क्षेत्र में BJP/JD(U) समर्थक मतदाता अधिक, जहां डुप्लिकेट वोटर ज्यादा पाए गए; इसका NDA को नुकसान हो सकता है। वहीं ग्रामीण/मुस्लिम बहुल इलाके महागठबंधन के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं क्योंकि यहां फर्जी दस्तावेज और प्रवासी मतदाताओं की समस्या ज्यादा है।

 

बिहार SIR विवाद में 56 लाख वोटर अपात्र: चुनाव आयोग बनाम विपक्ष
EC का बड़ा बयान: आधार, वोटर ID और राशन कार्ड SIR प्रक्रिया के लिए अमान्य, बताई ये वजह

Exit mobile version