बिहार चुनाव 2025: पहले चरण में 60% से अधिक मतदान, 2020 से 4.45% अधिक उत्साह
बिहार चुनाव 2025: पहले चरण में बढ़ा मतदान, क्या है सत्ता-विरोध की लहर?
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में राज्यभर में मतदाताओं ने जोश और उत्साह के साथ मतदान किया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पहले चरण में 60.13 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है, जो 2020 के पहले चरण की तुलना में 4.45 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि कुल मतदान प्रतिशत से भी 2.84 प्रतिशत अधिक है, जिससे स्पष्ट है कि जनता की भागीदारी पहले की तुलना में ज्यादा रही।
यह आंकड़ा इसलिए भी अहम है क्योंकि इस बार बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण किया गया था, जिसमें 47 लाख नाम हटाए गए। विपक्ष ने इसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश बताया था। मतदाता सूची में कमी के बाद भी मतदान प्रतिशत का बढ़ना राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
क्या बढ़ी वोटिंग सत्ता-विरोध की निशानी है?
राजनीतिक परंपरा बताती है कि बिहार चुनाव 2025 में बढ़ा हुआ मतदान सत्ता-विरोध (Anti-Incumbency) की लहर का संकेत हो सकता है। विपक्षी महागठबंधन इसी उम्मीद पर भरोसा जता रहा है। महागठबंधन ने जनता से हर घर को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है, जिससे युवाओं में उत्साह देखा जा रहा है।
पिछले तीन चुनावों के रुझान बताते हैं कि अधिक मतदान का सीधा असर सत्ता परिवर्तन पर पड़ा है। 2010 में जदयू-भाजपा गठबंधन को बड़ी जीत मिली थी जब मतदान 52.73 प्रतिशत था। 2015 में जब नीतीश कुमार ने राजद के साथ हाथ मिलाया तो मतदान 4.18 प्रतिशत बढ़ा और सत्ता परिवर्तन हुआ। 2020 में जदयू-भाजपा गठबंधन फिर सत्ता में आया लेकिन जदयू को 28 सीटों का नुकसान हुआ। उस समय मतदान 57.29 प्रतिशत रहा था।
प्रमुख सीटों पर वोटिंग और नेताओं की स्थिति
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में 243 में से 121 सीटों पर मतदान हुआ। बाकी 122 सीटों पर मतदान 11 नवंबर को होगा और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। पहले चरण में तेजस्वी यादव, सम्राट चौधरी और मैथिली ठाकुर जैसे प्रमुख उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई।
तेजस्वी यादव ने राघोपुर सीट से चुनाव लड़ा, जहां अब तक 64.01 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो 2020 की तुलना में 4.32 प्रतिशत अधिक है। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की तारापुर सीट पर 58.33 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। अलिनगर में मैथिली ठाकुर के नाम पर 58.05 प्रतिशत वोटिंग हुई जबकि मोकामा में, जहां जदयू प्रत्याशी आनंद सिंह के गिरफ्तारी का मामला सुर्खियों में था, वहां 62.16 प्रतिशत मतदान हुआ।
2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, जिसके पास 75 सीटें थीं, जबकि भाजपा को 74, जदयू को 43 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या बिहार चुनाव 2025 में बढ़ी वोटिंग सत्ता-विरोध की लहर को हवा देगी या फिर सत्तारूढ़ गठबंधन इसे अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाब होगा।
हालांकि यह भी याद रखना होगा कि अधिक मतदान हमेशा सत्ता-विरोध का संकेत नहीं होता। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी मतदान बढ़ा था, लेकिन भाजपा लगातार सत्ता में रही। इसलिए, अंतिम परिणाम का इंतजार करना ही उचित होगा।
अगले चरण के मतदान और विश्लेषण के लिए हमारी साइट के बिहार चुनाव 2025 सेक्शन पर नजर बनाए रखें।
स्रोत: भारतीय चुनाव आयोग

