भारत की तकनीकी स्वतंत्रता: क्या बनेगा अपना डिजिटल साम्राज्य?

भारत की तकनीकी स्वतंत्रता: डिजिटल साम्राज्य की ओर

भारत की तकनीकी स्वतंत्रता अब केवल एक विचार नहीं रही, बल्कि यह देश की नीतियों और रणनीतियों का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को कैबिनेट ब्रीफिंग में एक अनोखा कदम उठाया। उन्होंने विदेशी सॉफ्टवेयर के बजाय अपनी प्रस्तुति तैयार करने के लिए भारतीय कंपनी जोहो का उपयोग किया। यह निर्णय केवल एक प्रतीकात्मक प्रयास नहीं बल्कि यह दर्शाता है कि सरकार अब डिजिटल संप्रभुता और आत्मनिर्भरता को लेकर बेहद गंभीर है। यह कदम इस दिशा में पहला ठोस संदेश है कि भारत अपने डिजिटल साम्राज्य की ओर अग्रसर है।

भारत की तकनीकी स्वतंत्रता: मोदी का विजन और डिजिटल साम्राज्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से इस विचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि भारत के पास अपने खुद के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और तकनीकी उत्पाद होने चाहिए। यह केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता का सवाल नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा नियंत्रण से भी जुड़ा है। जब किसी देश के पास अपने प्लेटफॉर्म होते हैं, तो वह नीतियों पर स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता हासिल करता है। भारत की तकनीकी स्वतंत्रता का मकसद है कि देश अपने डिजिटल संसाधनों और तकनीकी भविष्य पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करे।

सरकारी मंत्रियों का एकजुट अभियान

इस दिशा में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल लगातार भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों और इंजीनियरों से देश लौटकर काम करने की अपील कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि सिलिकॉन वैली और अन्य देशों में कार्यरत भारतीय प्रतिभाएं भारत आकर काम करें, तो देश भी तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी शक्ति बन सकता है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ आमोद कांत भी इस अभियान के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। वे भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने, विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने और घरेलू नवाचार को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं।

क्या भारत बना रहा है अपना Google और Microsoft?

भारत में पहले से कई तकनीकी कंपनियां सफल हो चुकी हैं, जिनमें जोहो, इंफोसिस, टीसीएस, फ्लिपकार्ट और पेटीएम शामिल हैं। ये कंपनियां दिखाती हैं कि भारत के पास पहले से ही मजबूत आधार मौजूद है। सरकार की वर्तमान रणनीति तीन स्तंभों पर आधारित है—ब्रेन गेन, देसी विकल्पों का विकास और निर्यात केंद्रित दृष्टिकोण।

पहला स्तंभ – ब्रेन गेन: इसमें विदेश में काम कर रहे भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों को आकर्षक अवसर और सुविधाएं देकर वापस लाने की योजना है। साथ ही स्टार्टअप फंडिंग की उपलब्धता बढ़ाना और नियामक वातावरण को और अधिक लचीला बनाना भी इस रणनीति का हिस्सा है।

दूसरा स्तंभ – देसी विकल्पों का विकास: हर विदेशी सॉफ्टवेयर के स्थान पर भारतीय विकल्प तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। सरकारी संस्थानों और मंत्रालयों में पहले देसी विकल्पों को अपनाने की नीति लागू हो रही है। साथ ही अनुसंधान और विकास में निवेश को भी बढ़ाया जा रहा है ताकि तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहन मिल सके।

तीसरा स्तंभ – निर्यात केंद्रित दृष्टिकोण: भारतीय सॉफ्टवेयर को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने और अन्य विकासशील देशों के साथ तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है। इसके जरिए भारत की तकनीकी स्वतंत्रता केवल देश तक सीमित न रहकर वैश्विक प्रभाव डाल सकेगी।

हालांकि इन प्रयासों के बीच कुछ चुनौतियां भी सामने आती हैं। फंडिंग की कमी भारतीय स्टार्टअप्स के लिए बड़ी रुकावट है। प्रतिभा पलायन यानी ब्रेन ड्रेन की समस्या अब भी मौजूद है क्योंकि श्रेष्ठ इंजीनियर विदेश में अवसर तलाशना पसंद करते हैं। साथ ही उपभोक्ताओं के बीच विदेशी ब्रांड्स के प्रति आकर्षण भारतीय विकल्पों के लिए कठिनाई पैदा करता है।

इसके बावजूद अवसर भी अपार हैं। भारत का 140 करोड़ की जनसंख्या वाला विशाल बाजार, सरकार का प्रोत्साहन और तकनीक-प्रेमी युवा पीढ़ी इस बदलाव को गति दे सकती है। सही नीतियों और निजी क्षेत्र के सहयोग से यह परिवर्तन संभव है।

यदि सरकार की यह रणनीति सफल होती है तो इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव व्यापक होंगे। आर्थिक रूप से भारत तकनीकी निर्यात में अग्रणी बन सकता है और विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी। राजनीतिक रूप से डिजिटल संप्रभुता हासिल करने से भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी। वहीं सामाजिक रूप से यह लाखों युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर पैदा करेगा और ब्रेन ड्रेन की समस्या को कम करेगा।

अश्विनी वैष्णव का जोहो का उपयोग करना भले ही एक छोटा कदम लगे, लेकिन यह एक बड़े लक्ष्य की ओर संकेत है। यह इस बात का प्रतीक है कि भारत की तकनीकी स्वतंत्रता अब केवल विचार नहीं, बल्कि कार्ययोजना का हिस्सा है। आने वाले वर्षों में भारत का अपना गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक देखना संभव हो सकता है। यह केवल आर्थिक परिवर्तन नहीं होगा बल्कि यह भारत की तकनीकी गरिमा और स्वाभिमान की नई कहानी लिखेगा।

👉 स्रोत: Ministry of Electronics & IT, Government of India

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