भारत का नया श्रम संहिता: कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए क्रांतिकारी सुधार
भारत का नया श्रम संहिता देश के कार्यस्थलों में व्यापक और ऐतिहासिक परिवर्तन लेकर आया है। स्वतंत्रता के बाद यह सबसे बड़ा श्रम सुधार माना जा रहा है, जिसमें 44 पुराने कानूनों को मिलाकर चार नई श्रम संहिताएं बनाई गईं। भारत का नया श्रम संहिता कर्मचारियों, नियोक्ताओं और उद्योगों के लिए एक आधुनिक एवं एकीकृत ढांचा प्रस्तुत करती है, जिसका लक्ष्य रोजगार बाजार में पारदर्शिता, सुरक्षा और लचीलेपन को बढ़ाना है।
भारत का नया श्रम संहिता: मुख्य सुधार और प्रभाव
नया ढांचा मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा व कार्य स्थिति संहिता के रूप में लागू किया गया है। इनका सीधा असर वेतन संरचना, PF योगदान, ग्रेच्युटी पात्रता, सुरक्षा नियमों और डिजिटल अनुपालन पर पड़ता है। भारत का नया श्रम संहिता का पहला बड़ा प्रभाव वेतन और PF संरचना में देखा जाता है जहां मूल वेतन को कुल CTC का 50% रखना अनिवार्य किया गया है। इससे टेक-होम वेतन थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन PF और रिटायरमेंट फंड में बढ़ोतरी सुनिश्चित होगी।
वेतन, PF और ग्रेच्युटी में बड़े बदलाव
मजदूरी संहिता के तहत वेतन भुगतान के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है, जिससे देरी की संभावना कम होती है। ₹21,000 तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को बोनस का लाभ भी मिलता रहेगा। PF का लाभ अब सभी प्रकार के कर्मचारियों को मिलता है, जिसमें स्थायी, अनुबंध, अस्थायी और निश्चित अवधि के कर्मचारी भी शामिल हैं। इसी तरह ग्रेच्युटी में भी क्रांतिकारी सुधार किया गया है, जिसके तहत अब निश्चित अवधि के कर्मचारी केवल एक वर्ष काम करने पर ग्रेच्युटी पाने के पात्र होंगे।
सामाजिक सुरक्षा संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार मान्यता दी गई है। Uber, Ola, Swiggy, Zomato जैसे प्लेटफॉर्म से जुड़े कामगारों को अब स्वास्थ्य, दुर्घटना और जीवन बीमा जैसी सुविधाएं मिलेंगी। महिलाओं के लिए 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश, कमीशनिंग माताओं के लिए विशेष लाभ और ESI कवरेज भी इस संहिता का हिस्सा है।
औद्योगिक संबंध और कार्यस्थल सुरक्षा में सुधार
औद्योगिक संबंध संहिता के तहत फिक्स्ड-टर्म रोजगार को कानूनी मान्यता दी गई है। इससे प्रोजेक्ट आधारित काम करने वाली कंपनियों और कर्मचारियों को समान लाभ मिलने में आसानी होगी। हड़ताल के नियमों में बदलाव कर नोटिस अवधि 60 दिन की गई है, जिससे बातचीत और समाधान के अधिक अवसर मिलते हैं।
व्यावसायिक सुरक्षा संहिता सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होती है, जिससे फैक्ट्रियों के अलावा खदान, निर्माण, बागान और पोर्ट क्षेत्रों में भी सुरक्षा सुनिश्चित होती है। दैनिक 8 घंटे और साप्ताहिक 48 घंटे कार्य सीमा तय की गई है, जबकि ओवरटाइम पर दोगुना वेतन अनिवार्य किया गया है। महिलाओं को सुरक्षित रात्रि पाली का अवसर, क्रेच सुविधा और शून्य-सहनशीलता यौन उत्पीड़न नीति भी लागू की गई है।
डिजिटल अनुपालन और भविष्य की दिशा
डिजिटल अनुपालन प्रणाली इस सुधार का मुख्य स्तंभ है। एकल-पोर्टल के माध्यम से सभी पंजीकरण, रिटर्न और रिकॉर्ड ऑनलाइन किए जा सकेंगे, जिससे इंस्पेक्टर राज और कागजी कार्रवाई में भारी कमी आएगी। वेब-आधारित निरीक्षण, रियल-टाइम ट्रैकिंग और स्वचालित अलर्ट जैसी सुविधाएं पारदर्शिता बढ़ाती हैं। भारत का नया श्रम संहिता लंबे समय में अर्थव्यवस्था, उद्योगों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। यह सुधार न केवल रोजगार को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाता है, बल्कि वैश्विक मानकों के अनुरूप भारत के श्रम ढांचे को आधुनिक भी करता है।
ILO Labour Standards – https://www.ilo.org

