नई दिल्ली, 15 जुलाई 2025 – क्रिसिल रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक श्रम बाजार में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिसमें कई देशों में बढ़ती उम्रदराज आबादी और डिजिटलीकरण को अपनाने वाले व्यवसायों के कारण कुशल कामगारों की मांग बढ़ रही है। इसके चलते भारत वैश्विक रोजगार का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “वैश्विक श्रम बाजार तेजी से बदल रहा है, जहां विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं दोनों में कुशल श्रमिकों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह कई देशों में बुजुर्ग आबादी का बढ़ना और व्यवसायों का डिजिटलीकरण की ओर बढ़ना है।”
रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया है कि कुछ देशों में बेरोजगारी बढ़ रही है, वहीं दुनिया भर में कई नियोक्ताओं को कुशल कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसमें कहा गया, “भारत वैश्विक रोजगार का केंद्र बनने जा रहा है… वैश्विक श्रम बाजार में एक विरोधाभासी स्थिति देखने को मिल रही है, जहां कुछ देशों में बेरोजगारी बढ़ रही है, वहीं नियोक्ताओं को कुशल कर्मचारी नहीं मिल पा रहे हैं।”
जनसांख्यिकीय असमानता है मुख्य वजह
इस विरोधाभास की मुख्य वजह जनसांख्यिकीय अंतर है। उच्च आय वाले देशों में जन्म दर में लगातार गिरावट और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। इससे कार्यशील आबादी पर बुजुर्गों की निर्भरता बढ़ रही है, जिससे कौशल की कमी और गहरी हो रही है।
वहीं, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जनसंख्या विस्तार हो रहा है, जहां युवाओं की एक बड़ी संख्या कार्यबल में शामिल हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक इन देशों से वैश्विक कार्यबल में दो-तिहाई नए कर्मचारी आने की उम्मीद है।
भारत की अहम भूमिका
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वैश्विक रोजगार का केंद्र बनने की स्थिति में इसलिए भी है क्योंकि देश की 65% आबादी 35 साल से कम उम्र की है। भारत के पास अतिरिक्त श्रम शक्ति उपलब्ध कराने और उच्च आय वाले देशों में टैलेंट गैप को भरने की क्षमता है।
हालांकि, क्रिसिल की रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि भारत के श्रम बाजार को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर अयोग्यता और व्यापक कौशल अंतर के रूप में।
कौशल विकास में भारत की चुनौती
पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, भारत के केवल आधे ग्रेजुएट पूरी तरह से रोजगार योग्य माने जाते हैं, और केवल 4.4% कार्यबल को ही औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण मिला है। इससे पता चलता है कि बड़ी श्रम शक्ति होने के बावजूद देश में कौशल विकास की कमी एक बड़ी समस्या बन चुकी है।
समाधान की दिशा
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र में संरचनात्मक कमियों को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है। ऐसा करके देश न केवल घरेलू रोजगार और उत्पादकता को बेहतर बना सकता है, बल्कि वैश्विक कौशल की कमी को पूरा करने में भी योगदान दे सकता है।
🌐 विश्व स्रोत:
IMF वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट: https://www.imf.org/en/Publications/WEO
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