भारत का बैलिस्टिक ताकत प्रदर्शन: अग्नि-1 मिसाइल की 700 KM रेंज और पृथ्वी-2 का सफल परीक्षण
Kv Amit
भारत द्वारा अग्नि-1 और पृथ्वी-2 मिसाइलों का सफल परीक्षण
भारत ने गुरुवार को अपनी स्वदेशी बैलिस्टिक क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए अग्नि-1 और पृथ्वी-2 मिसाइल परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। इन दोनों मिसाइलों का परीक्षण ओडिशा के तटीय क्षेत्र में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से किया गया।
सामरिक बल कमान की देखरेख में हुआ परीक्षण
रक्षा सूत्रों के अनुसार, अग्नि-1 और पृथ्वी-2 मिसाइल परीक्षण सामरिक बल कमान (SFC) की निगरानी में किया गया और सभी तकनीकी और परिचालन मानकों को सफलतापूर्वक पार किया। अग्नि-1 मिसाइल को अब्दुल कलाम द्वीप से और पृथ्वी-2 को चांदीपुर स्थित लॉन्च पैड नंबर-3 से दागा गया।
अग्नि-1 मिसाइल की ताकत: 700KM रेंज और 1000KG हथियार ले जाने की क्षमता
अग्नि-1 और पृथ्वी-2 मिसाइल परीक्षण में अग्नि-1 मिसाइल की बात करें तो इसकी रेंज 700 किलोमीटर है। यह मिसाइल 12 टन वजनी है और 1,000 किलोग्राम तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला (DRDL), रिसर्च सेंटर इमरात (RCI) और उन्नत सिस्टम प्रयोगशाला ने मिलकर विकसित किया है। निर्माण कार्य भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा किया गया। इसका पहली बार उपयोग 2004 में किया गया था।
पृथ्वी-2 मिसाइल: सटीकता और एडवांस गाइडेंस सिस्टम के साथ
पृथ्वी-2 मिसाइल को भी स्वदेशी रूप से DRDO द्वारा विकसित किया गया है। इसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर है और यह 500 से 1000 किलोग्राम तक के हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इसमें लिक्विड प्रोपल्शन और एडवांस गाइडेंस सिस्टम लगे हैं जो लक्ष्य को सटीकता से नष्ट कर सकते हैं। यह मिसाइल भारतीय सेना में 2003 से सक्रिय है और इसकी लंबाई 9 मीटर है।
‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का भी हुआ परीक्षण
24 घंटे के अंदर यह दूसरा बड़ा परीक्षण है। बुधवार को लद्दाख में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम का परीक्षण किया गया। यह स्वदेशी प्रणाली DRDO द्वारा विकसित की गई है। परीक्षण के दौरान सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों ने तेजी से उड़ते दो लक्ष्यों को सटीकता से मार गिराया।
ऑपरेशन सिंदूर में आकाश सिस्टम की भूमिका
आकाश प्राइम सिस्टम को सेना की तीसरी और चौथी रेजिमेंट में शामिल किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस प्रणाली ने पाकिस्तानी सेना के चीनी फाइटर जेट्स और तुर्की ड्रोन को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी।