ट्रंप की क्रिप्टो रणनीति: डॉलर को कमजोर करने का असली खेल

ट्रंप की क्रिप्टो रणनीति: क्या MAGA सिर्फ एक भ्रम है? असली खेल डॉलर के मुकाबले क्रिप्टो को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की मानक मुद्रा बनाना तो नहीं?
जब दुनिया ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर चर्चा में व्यस्त है, तो शायद ही कोई इस बात पर ध्यान दे रहा है कि इस सब के पीछे एक बहुत बड़ा खेल चल रहा है। डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के पीछे कहीं डॉलर की जगह क्रिप्टो को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की मानक मुद्रा बनाने की साजिश तो नहीं? वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल से लेकर ट्रंप कॉइन तक, जिस तरह से गुपचुप तरीके से ट्रंप incorporation दुनिया में क्रिप्टो को मजबूत करने के खेल में लगा हुआ है, वहीं पूरे विश्व को चुनौती देकर अमरीका का दुश्मन बनाते हुए ट्रंप डॉलर को कमजोर करने में लगे हैं।
डॉलर का पतन और ट्रंप की रणनीति
फरवरी 2025 से अब तक 10 प्रतिशत से अधिक डॉलर में गिरावट देखी गई है। ट्रंप ने फरवरी में कनाडा और मैक्सिको पर 25% और चीन पर 10% टैरिफ लगाया, जबकि अप्रैल में सभी आयातों पर 10% बेसलाइन टैरिफ और चीन पर 34% तक का टैरिफ लगाया। इन टैरिफ नीतियों का सीधा असर डॉलर की कमजोरी पर पड़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि टैरिफ डॉलर के वर्चस्व को कमजोर कर सकते हैं, जो लंबे समय में बिटकॉइन के लिए फायदेमंद हो सकता है।
ट्रंप के टैरिफ युद्ध: अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का वार
क्रिप्टो साम्राज्य का निर्माण
पाकिस्तान, चीन की कंपनियां – सभी ट्रंप की कंपनी के साथ crypto समझौते करने में लगी हैं। अबू धाबी समर्थित निवेश फर्म ने ट्रंप परिवार के क्रिप्टो उद्यम में $2 बिलियन का निवेश किया है। यह सिर्फ संयोग नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है।
वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल की भूमिका
ट्रंप के वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल क्रिप्टो प्रोजेक्ट ने $550 मिलियन के टोकन बेचे हैं। कंपनी ने USD1 नाम का स्टेबलकॉइन लॉन्च किया है, जो अमेरिकी डॉलर से जुड़ा हुआ है और यूएस सरकारी ट्रेजरी, डॉलर जमा और अन्य नकद समकक्षों से समर्थित है। दिलचस्प बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने स्टेबलकॉइन को अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को मजबूत करने का साधन बताया है, उन्होंने कहा कि ये “डॉलर हेजेमोनी के रक्षक हैं, इसके विरोधी नहीं।”
लेकिन क्या यह सच में डॉलर को मजबूत बनाने के लिए है? या फिर यह डॉलर से लोगों का ध्यान हटाकर क्रिप्टो की तरफ मोड़ने की चाल है?
ट्रंप कॉइन का जादू
ट्रंप के मीमकॉइन का बाजार पूंजीकरण जनवरी में $9 बिलियन से घटकर आज लगभग $2 बिलियन हो गया है, लेकिन यह अभी भी मुनाफे का स्रोत बना हुआ है, जिसकी कुल आपूर्ति का लगभग 80% हिस्सा ट्रंप के संगठन के पास है। ट्रंप ने डिजिटल मुद्रा को इस हद तक अपनाया है कि अब क्रिप्टो उनकी कुल संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा बन गया है।
MAGA: एक भ्रम या असली खेल?
2025 में ट्रंप की व्यक्तिगत संपत्ति में कम से कम $620 मिलियन की वृद्धि हुई है उनके क्रिप्टो उद्यमों से। जब एक राष्ट्रपति अपनी व्यक्तिगत संपत्ति में इतनी बड़ी मात्रा में क्रिप्टो से कमाई कर रहा हो, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या MAGA सिर्फ एक नारा है या फिर इसके पीछे कुछ और मकसद है?
टैरिफ और क्रिप्टो का कनेक्शन
2018-2019 के व्यापारिक तनाव के दौरान बिटकॉइन की कीमत में उछाल आया था, और विश्लेषकों का कहना है कि 2025 में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल सकता है, खासकर अगर टैरिफ लागू होते हैं और वैश्विक मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ता है। ट्रंप की टैरिफ नीतियों से बाजार में अनिश्चितता और जोखिम से बचने की भावना बढ़ने की उम्मीद है।
यह कोई संयोग नहीं है कि जब डॉलर कमजोर हो रहा है, तो क्रिप्टो मजबूत हो रहा है। कांग्रेसनल बजट ऑफिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ योजना से अगले 10 सालों में $2.8 ट्रिलियन की कमी कम होने की उम्मीद है, लेकिन इसकी कीमत यह होगी कि टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आकार को कम कर देंगे।
निष्कर्ष: असली खेल क्या है?
सच्चाई यह है कि **ट्रंप की क्रिप्टो रणनीति** का मकसद MAGA के नारों से कहीं बड़ा हो सकता है। असली खेल डॉलर की जगह क्रिप्टो को अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में स्थापित करने का है। जब तक दुनिया ट्रंप की टैरिफ नीति और राजनीतिक बयानबाजी में उलझी रहेगी, तब तक वे चुपचाप अपने क्रिप्टो साम्राज्य का विस्तार करते रहेंगे।
डॉलर को कमजोर करना, दुनिया को अमेरिका का दुश्मन बनाना, और साथ ही साथ क्रिप्टो में अरबों की कमाई करना – यह सब सुनियोजित रणनीति का हिस्सा लग रहा है। सवाल यह है कि क्या दुनिया इस खेल को समझ पाएगी या फिर MAGA के नारों में फंसकर रह जाएगी?
भविष्य बताएगा कि ट्रंप का यह दांव सफल होता है या नहीं, लेकिन एक बात तय है – यह सिर्फ राजनीति का खेल नहीं है, बल्कि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को बदलने की एक बड़ी साजिश है।
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