ट्रंप का विरोधाभासी रुख: अलास्का में पुतिन से मुलाकात

ट्रंप का विरोधाभासी रुख एक बार फिर सुर्खियों में है। 15 अगस्त को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान और नीतियां वैश्विक चर्चा का केंद्र बन गए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप का मानसिक संतुलन और विरोधाभास
एक तरफ ट्रंप कह रहे हैं कि पुतिन उनसे उलझेंगे नहीं, वहीं दूसरी ओर भारत पर 50% तक टैरिफ लगाकर रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। ये ट्रंप का विरोधाभासी रुख उनकी नीति की दिशा को लेकर सवाल खड़े करता है।
अलास्का मीटिंग और कूटनीतिक असंगति
अलास्का की मीटिंग यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए है, लेकिन ट्रंप का दावा है कि मीटिंग के पहले दो मिनट में ही शांति की संभावना का पता चल जाएगा। यह एक बचकानी सोच मानी जा रही है, क्योंकि तीन साल से चल रहे युद्ध का हल इतनी जल्दी संभव नहीं है।
भारत पर टैरिफ लगाने का कारण रूस से तेल खरीदना बताया गया है, जबकि खुद अमेरिका रूस के साथ अरबों डॉलर का व्यापार कर रहा है। यह नीति अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव ला रही है और ट्रंप का विरोधाभासी रुख स्पष्ट कर रही है।
वैश्विक असर और रणनीतिक खतरे
भारत जैसे महत्वपूर्ण साझीदार को नाराज़ कर अमेरिका ने एशिया में अपनी स्थिति कमजोर की है। साथ ही, नाटो और यूरोपीय देशों में भी ट्रंप के फैसलों को लेकर चिंता बढ़ी है। पुतिन के साथ मुलाकात और भारत पर टैरिफ – दोनों नीतियां एक-दूसरे के विपरीत हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितता बढ़ रही है।
ट्रंप की रणनीति या मानसिक भ्रम – इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। पुतिन के साथ सीधी बातचीत और मित्र देशों पर दबाव डालना, यह मिश्रण भविष्य के लिए खतरनाक मिसाल हो सकता है।
निष्कर्ष
अलास्का में होने वाली मुलाकात ऐतिहासिक सफलता या नई समस्याएं पैदा कर सकती है। ट्रंप का विरोधाभासी रुख और भारत जैसे मित्र देशों के साथ कठोर रवैया दिखाता है कि उनकी विदेश नीति स्पष्ट नहीं है। यह कदम वैश्विक गठबंधनों और आर्थिक संतुलन को बदल सकता है।
अमेरिका-भारत व्यापार विवाद पर विस्तृत विश्लेषण पढ़ें
स्रोत: BBC News