तृतीय विश्व युद्ध का खतरा: ट्रंप के बयान और रूस-यूक्रेन संघर्ष में छुपे खतरे

तृतीय विश्व युद्ध का खतरा - ट्रंप और पुतिन

यूक्रेन युद्ध: विश्व युद्ध तीन की आहट?

तृतीय विश्व युद्ध का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के लगातार आ रहे विरोधाभासी बयान रूस-यूक्रेन युद्ध को एक नई दिशा की ओर ले जा रहे हैं। एक दिन वे पुतिन की बातचीत की तारीफ करते हैं, दूसरे दिन रूस पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी देते हैं। इधर यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से मास्को पर हमले की बात कही जा रही है, वहीं रूस भी अपनी रणनीतिक साझेदारी मजबूत बना रहा है। उत्तर कोरिया के 10,000 से अधिक सैनिकों का रूसी बलों में शामिल होना और ईरान में रूसी कार्गो विमान की लैंडिंग साफ इशारा है कि यह संघर्ष अब स्थानीय नहीं रह गया है।

ट्रंप के बड़बोलेपन का यूरोपीय परिणाम

राष्ट्रपति ट्रंप की रूस को लेकर बढ़ती निराशा अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। उनके बयान “पुतिन अच्छी बात करते हैं लेकिन अगले दिन बमबारी कर देते हैं” से लेकर जेलेंस्की से “क्या आप मास्को को बमबारी कर सकते हैं?” तक का सफर अमेरिकी विदेश नीति की अस्थिरता को दर्शाता है। ट्रंप ने रूस को 50 दिन का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें व्यापारिक परिणामों की धमकी है। यह बड़बोलापन यूरोपीय देशों को रूस के कोपभाजन में डाल सकता है।

रूस की रणनीतिक चालें और वैश्विक गठबंधन

रूस अब अकेला नहीं लड़ रहा। उत्तर कोरिया से सैनिक सहायता, चीन के साथ पर्दे के पीछे गहरी साझेदारी, और अब ईरान में रूसी सैन्य कार्गो विमान की लैंडिंग – ये सब इशारे हैं कि मास्को एक व्यापक गठबंधन बना रहा है। विशेषज्ञ सुझाते हैं कि रूस पूर्वी यूरोप में अपनी शक्ति का प्रदर्शन जारी रखेगा, जो नेटो बलों के साथ और भी बड़े टकराव की संभावना बढ़ाता है।

रूस की कूटनीतिक पहल

पुतिन की भारत यात्रा की खबरें भी आ रही हैं, जो दर्शाती हैं कि रूस अपनी कूटनीतिक पहुंच बढ़ाने में लगा है। रूसी राजनयिकों का उत्तर कोरिया दौरा और शी जिनपिंग के साथ पुतिन की बातचीत साफ संकेत है कि एक नया धुरी गठबंधन बन रहा है।

जेलेंस्की की विनाशकारी मानसिकता

किसी भी राष्ट्राध्यक्ष से यह अपेक्षा की जाती है कि वे युद्ध के बाद सम्मानजनक शांति की दिशा में काम करें। परंतु जेलेंस्की की मानसिकता समझ से परे है। वे दर-दर जाकर हथियार मांग रहे हैं, और अब तो मास्को पर सीधे हमले की बात तक कर रहे हैं। मास्को में हुए हमले जिसमें 60 लोग मारे गए, उसके बाद ट्रंप ने कहा “यह सब बातचीत है और फिर मिसाइलें कीव में जाकर 60 लोगों को मार देती हैं”। यह दृष्टिकोण यूरोपीय यूनियन के देशों पर युद्ध के बादल ले आ सकता है।

ईरान फैक्टर: अमेरिका को रूसी चेतावनी?

ईरान में रूसी सैन्य कार्गो विमान की लैंडिंग कोई साधारण घटना नहीं है। यह अमेरिका को एक स्पष्ट संदेश हो सकता है कि रूस मध्य पूर्व में भी अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है। ईरान पर चुप्पी बरतने वाले रूस का यह कदम दर्शाता है कि वे अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार कर रहे हैं।

तृतीय विश्व युद्ध के खतरे

हाल ही में ट्रंप ने जेलेंस्की को चेतावनी दी थी कि वे “लाखों लोगों की जिंदगी से जुआ खेल रहे हैं और तृतीय विश्व युद्ध से खेल रहे हैं”। परंतु अब स्थिति यह है कि स्वयं ट्रंप के बयान और नीतियां इस खतरे को और भी बढ़ा रही हैं। नेटो का यूक्रेन को निरंतर सैन्य सहायता महत्वपूर्ण है, लेकिन इसमें संघर्ष को और भी बढ़ाने का जोखिम भी है।

भारत की स्थिति और चुनौतियां

इस बदलती वैश्विक स्थिति में भारत की स्थिति अत्यंत नाजुक है। एक ओर रूस के साथ पारंपरिक मित्रता, दूसरी ओर अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती साझेदारी। पुतिन की भारत यात्रा इस संदर्भ में महत्वपूर्ण होगी कि भारत कैसे अपनी संतुलित विदेश नीति को बनाए रखता है। भारत की विदेश नीति की चुनौतियों पर हमारा विशेष लेख पढ़ें।

निष्कर्ष: समय है संयम का

वर्तमान परिस्थिति में दुनिया तृतीय विश्व युद्ध के कगार पर खड़ी है। ट्रंप के विरोधाभासी बयान, रूस की बढ़ती आक्रामकता, चीन-उत्तर कोरिया-ईरान का गठबंधन, और यूरोप की बढ़ती चिंताएं – सभी मिलकर एक विस्फोटक स्थिति बना रहे हैं। अगर यह संघर्ष सही तरीके से नहीं संभाला गया तो यह वैश्विक युद्ध में बदल सकता है।

समय की मांग है कि सभी पक्ष संयम बरतें और कूटनीतिक हल खोजें। जेलेंस्की को समझना होगा कि निरंतर हथियारों की मांग और आक्रामक रुख यूरोप को खतरे में डाल रहा है। ट्रंप को अपनी विदेश नीति में स्थिरता लानी होगी। और रूस को यह समझना होगा कि युद्ध का कोई विजेता नहीं होता।

दुनिया एक नाजुक मोड़ पर है, और अगला कदम तय करेगा कि हम शांति की ओर जाएंगे या विनाश की ओर। अधिक जानकारी के लिए संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक शांति रिपोर्ट देखें।

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