पहलगाम हमला: सेना के बयान से विपक्ष की राष्ट्रविरोधी सोच उजागर

पहलगाम हमला: सेना के बयान से विपक्ष की राष्ट्रविरोधी सोच उजागर
पहलगाम हमला को लेकर भारतीय सेना के आधिकारिक बयान ने कांग्रेस और विपक्षी दलों की राष्ट्रविरोधी सोच को उजागर कर दिया है। यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस नेता पाकिस्तान को निर्दोष साबित करने का प्रयास कर रहे थे। सेना ने स्पष्ट किया कि पहलगाम हमलावरों को लेकर फैली कोई भी भ्रामक जानकारी उनकी ओर से जारी नहीं की गई है।
सेना की सफाई और कांग्रेस का पाकिस्तान प्रेम
भारतीय सशस्त्र सेना ने साफ शब्दों में कहा कि पहलगाम हमला पर उनकी ओर से कोई दस्तावेज या टिप्पणी अधिकृत रूप से जारी नहीं की गई है। इसके पहले कांग्रेस नेता बिना किसी जांच के दावा कर रहे थे कि यह हमला पाकिस्तानियों ने नहीं किया। यह रवैया भारतीय सेना के मनोबल को कमजोर करने का प्रयास था।
पहलगाम हमला की सच्चाई और भारत की सख्त प्रतिक्रिया
भारत ने हमलावरों के पाकिस्तान से संबंध की पुष्टि की और इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को पाकिस्तान व PoK स्थित आतंकी ढांचों को निशाना बनाया गया। नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए। TRF ने इस हमले को कश्मीर की विशेष स्थिति के उन्मूलन के विरोध में अंजाम देने की बात कही थी।
UNSC रिपोर्ट में TRF का पर्दाफाश, पाकिस्तान की किरकिरी
सुप्रीम कोर्ट ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारतीय सेना के खिलाफ दिए गए बयानों के लिए कड़ी फटकार लगाई है। उनके द्वारा चीन के कब्जे को लेकर दिए गए बयान को कोर्ट ने “झूठा और राष्ट्रविरोधी” माना है। यह मामला अब बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन के पूर्व निदेशक द्वारा शुरू की गई कानूनी कार्रवाई तक पहुंच गया है।
विपक्ष की राष्ट्रविरोधी सोच के आयाम
1. कांग्रेस और अन्य दल बार-बार राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में सेना पर सवाल उठाकर देश की एकता को कमजोर करते हैं।
2. पहलगाम हमला के मामले में बिना किसी आधार के पाकिस्तान को क्लीन चिट देना इसी मानसिकता का उदाहरण है।
3. विपक्षी नेताओं द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाएं देश की अखंडता पर सीधा हमला हैं।
निष्कर्ष
सेना के बयान और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया से यह साफ हो गया है कि विपक्षी दलों का उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक लाभ लेना है, चाहे इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा को ही दांव पर क्यों न लगाना पड़े। पहलगाम हमला इस बात का उदाहरण है कि कैसे तथ्य और सच्चाई एक ओर होते हैं और राजनीतिक बयानबाजी दूसरी ओर।
देश की जनता को जागरूक होकर यह समझना चाहिए कि कौन से नेता देश के हित में खड़े हैं और कौन विदेशी ताकतों के एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
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