पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल: सेना और लोकतंत्र का टकराव

पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल इस समय एक नए मोड़ पर है, जहां सेना और लोकतंत्र के बीच टकराव गहराता जा रहा है। आंतरिक चुनौतियां उफान पर हैं और सत्ता संघर्ष ने पूरे देश को अनिश्चितता में डाल दिया है।
आंतरिक चुनौतियों का उबलता समुद्र
पाकिस्तान में राजनीतिक हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। देश की आंतरिक चुनौतियां एक उबलते समुद्र की तरह उफान मार रही हैं, जहां सेना, राजनीति और जनता के बीच एक त्रिकोणीय संघर्ष चल रहा है।
शरीफ खानदान में बंटवारा
नवाज शरीफ का साफ इनकार जनरल आसिम मुनीर के कार्यकाल को दो साल बढ़ाने के मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। वहीं शहबाज शरीफ और मरियम नवाज इस दुविधा में फंसे हुए हैं कि वे किस तरफ झुकें। यह विभाजन शरीफ खानदान की राजनीतिक एकजुटता को कमजोर कर रहा है और पाकिस्तानी राजनीति में अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर रहा है।
जनता का दिल अभी भी इमरान के साथ
जमीनी हकीकत यह है कि पाकिस्तान की जनता का दिल अभी भी इमरान खान के साथ धड़कता है। लोग उनकी वापसी चाहते हैं और उनमें अभी भी भरोसा रखते हैं। इसके विपरीत, जनरल मुनीर पर लोगों का विश्वास उतना मजबूत नहीं है जितना सेना चाहती है।
प्रवासी पाकिस्तानियों का विरोध
पाकिस्तानी डायस्पोरा भी जनरल मुनीर के खिलाफ खड़ा है। वे नहीं चाहते कि लोकतंत्र को एक बार फिर से सेना के तख्तापलट से कुचला जाए। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है और सेना की वैधता को चुनौती दे रहा है।
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जनता का संभावित प्रतिरोध
अफवाहों के मुताबिक, इस बार पाकिस्तानी जनता सेना के शासन का विरोध कर सकती है। यह एक खतरनाक संकेत है क्योंकि पाकिस्तान में ऐतिहासिक रूप से जनता ने सेना के हस्तक्षेप को चुपचाप सहन किया है। लेकिन अब स्थिति बदलती नजर आ रही है।
अमेरिकी दौरे की नाकामी
जनरल मुनीर के हालिया अमेरिकी दौरे से कोई विशेष नतीजा नहीं निकला है। वे खुद ही कार्यक्रम आयोजित करके फिर रद्द कर रहे हैं। यह उनकी अनिश्चितता और दबाव को दर्शाता है। हालांकि ये अफवाहें हो सकती हैं, लेकिन मुनीर का यह दौरा अमेरिका और पाकिस्तानी सेना के बीच एक व्यापारिक समझौते जैसा लगता है।
बीएलए को आतंकी संगठन घोषित करने का खेल
इस दौरे का परिणाम यह निकला है कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) को आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया है। इसके पीछे की असली वजह प्राकृतिक संसाधन हैं।
बलूचिस्तान की संपदा पर नजर
दुर्लभ मिट्टी, तेल, गैस – सब कुछ बलूचिस्तान में है। अमेरिका इन संसाधनों को अपने नियंत्रण में लाना चाहता है, और पाकिस्तानी सेना विद्रोहियों को काबू में करने में नाकाम हो रही है। यह एक जटिल भूराजनीतिक खेल है जिसमें पाकिस्तान फंसता जा रहा है।
चीनी निवेश की दुविधा
चीनी कंपनियों ने बलूचिस्तान में भारी निवेश किया है। अब देखना यह है कि जनरल मुनीर इस मामले में चीन और अमेरिका के बीच कैसे संतुलन बनाते हैं। यह पाकिस्तान की विदेश नीति के लिए एक कठिन परीक्षा है।
पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल का भविष्य
समय बताएगा कि जनरल मुनीर इन तमाम चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं। लेकिन एक बात साफ है – पाकिस्तान एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां पुराने तरीके काम नहीं कर रहे हैं। जनता की आवाज अब पहले से ज्यादा मजबूत हो रही है, और सेना को इसे नजरअंदाज करना मुश्किल हो रहा है।
स्रोत: BBC Hindi