NCERT इतिहास बदलाव: क्या वीर योद्धाओं को मिला न्याय?

NCERT इतिहास बदलाव, वीर योद्धा बनाम मुगल इतिहास, शिक्षा मंत्रालय फैसला

शिक्षा मंत्रालय के फैसले पर बंटा देश

NCERT की इतिहास पुस्तकों में हाल के बदलावों को लेकर देश में तीखी बहस छिड़ गई है। सत्ता पक्ष इसे ऐतिहासिक सत्य की बहाली मानता है, जबकि विपक्ष इसे ‘भगवाकरण’ की संज्ञा दे रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तव में हमारे इतिहास की पुस्तकों में तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया

आक्रांताओं का महिमामंडन: एक कटु सत्य

भारत शायद विश्व का एकमात्र देश है जहां आक्रांताओं के इतिहास को गौरवान्वित करके पढ़ाया जाता रहा है। जबकि वीर योद्धाओं जैसे *महाराणा प्रताप, **पृथ्वीराज चौहान, **महाराजा रतन सिंह, **छत्रपति शिवाजी, **महाराजा सूरजमल, **अहिल्याबाई होल्कर* आदि का उल्लेख मात्र कुछ पंक्तियों में सीमित रहा है।

मुगलों की रातों की नींद उड़ाने वाले अज्ञात योद्धा

इतिहास में अनेक ऐसे वीर योद्धा हुए हैं जिन्होंने मुगल सल्तनत की नींव हिला दी थी:

– *बंदा सिंह बहादुर* – जिन्होंने मुगल शासन को चुनौती दी
– *गुरु गोबिंद सिंह* – जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की
– *हेमू या हेमचंद्र विक्रमादित्य* – जिन्होंने दिल्ली पर कब्जा किया था
– *राजा जयसिंह* – जो मुगलों के विरुद्ध लड़े
– *दुर्गादास राठौड़* – जिन्होंने मुगल विस्तार को रोका

 ‘गाजी’ की उपाधि का छुपा हुआ सच

इतिहास की पुस्तकों में अनेक मुगल शासकों के नाम के आगे ‘गाजी’ शब्द मिलता है, लेकिन इसका वास्तविक अर्थ छुपाया गया है। *गाजी का मतलब है ‘काफिरों का कत्ल करने वाला’* या ‘धर्म युद्ध में विजयी’। यह उपाधि उन्हें हिंदुओं की हत्या के लिए दी जाती थी।

 जौहर की परंपरा: वीरांगनाओं का बलिदान

जब-जब आक्रांताओं ने भारतीय भूमि पर कब्जा करने की कोशिश की, तब-तब वीरांगनाओं ने जौहर करके अपनी अस्मिता की रक्षा की:

– *रानी पद्मावती* का जौहर (चित्तौड़गढ़)
– *रानी कर्णावती* का बलिदान
– *रानी दुर्गावती* का वीरगति
– हजारों अज्ञात वीरांगनाओं का बलिदान

मैकाले की शिक्षा नीति का प्रभाव

*लॉर्ड मैकाले* की शिक्षा नीति ने भारतीय इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा। स्वतंत्र भारत के पहले तीन शिक्षा मंत्रियों में से दो मुस्लिम थे – *मौलाना अबुल कलाम आजाद* पहले शिक्षा मंत्री थे। इसका प्रभाव इतिहास लेखन पर भी पड़ा।

धर्म और संस्कृति पर हमले

सनातन संस्कृति पर आक्रमण

यह सर्वविदित है कि मुगल आक्रांताओं ने भारतीय सनातन संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया:

– *राम जन्मभूमि* पर बाबरी मस्जिद का निर्माण
– *कृष्ण जन्मभूमि* पर शाही ईदगाह
– *काशी विश्वनाथ मंदिर* का विध्वंस
– *सोमनाथ मंदिर* का 17 बार तोड़ना
– *हजारों मंदिरों* का विनाश

 इस्लाम का भारत में प्रसार

भारत में इस्लाम का प्रसार मुख्यतः लुटेरों और आक्रांताओं के माध्यम से हुआ। *बुद्ध* और *महावीर* जैसे संत यहां अहिंसा लेकर आए थे, जबकि इस्लामिक आक्रांता तलवार लेकर आए।

स्थापत्य कला का सच

मुगल स्मारकों की वास्तविकता

*लाल किला, **आगरा फोर्ट, **ताजमहल* आदि के बारे में कहा जाता है कि मुगलों ने इन्हें बनवाया। लेकिन सवाल यह है कि:

– ऐसी इमारतें उन देशों में क्यों नहीं मिलतीं जहां से ये आक्रांता आए थे?
– *राजस्थान* में हिंदू राजाओं के किले आज भी मौजूद हैं
– क्या इन इमारतों को मुगलों ने कब्जा किया था?

भारतीय स्थापत्य कला की विरासत

भारतीय स्थापत्य कला की समृद्ध परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है:
– *खजुराहो के मंदिर*
– *कोणार्क का सूर्य मंदिर*
– *एलोरा-अजंता की गुफाएं*
– *चोल वंश के मंदिर*

## NCERT सुधार: आवश्यक कदम

 इतिहास को संतुलित बनाना

NCERT की पुस्तकों में किए गए बदलाव एक सकारात्मक कदम हैं:

1. *वीर योद्धाओं को उचित स्थान* देना
2. *आक्रांताओं की वास्तविकता* दिखाना
3. *सनातन संस्कृति के योगदान* को उजागर करना
4. *तथ्यपरक इतिहास* का प्रस्तुतीकरण

भविष्य की पीढ़ी के लिए

आज की पीढ़ी को सही इतिहास जानने का अधिकार है। उन्हें पता होना चाहिए कि:
– कौन थे वास्तविक वीर योद्धा
– किसने देश की रक्षा की
– कैसे सनातन संस्कृति को बचाया गया
– क्या था आक्रांताओं का असली चेहरा

 निष्कर्ष: सत्य की विजय

इतिहास में जो घटा हो, उसे आज के परिप्रेक्ष्य में तथ्यों के साथ लिखना और प्रस्तुत करना चाहिए। *NCERT की पुस्तकों में आए बदलाव* एक स्वागत योग्य कदम है जो भारतीय इतिहास को उसके वास्तविक रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

यह समय है जब हम अपने वीर पूर्वजों को याद करें और आक्रांताओं के महिमामंडन को समाप्त करें। सच्चा इतिहास वही है जो तथ्यों पर आधारित हो, न कि राजनीतिक एजेंडे पर।

अस्वीकरण: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं और जरूरी नहीं कि ये digiword.aksshatech.com या किसी संस्था की आधिकारिक राय को दर्शाते हों। लेख का उद्देश्य केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण पर विमर्श करना है, न कि किसी समुदाय, धर्म या विचारधारा को आहत करना।

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