आईटी सेक्टर की छंटनी: भारतीय मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बड़ा खतरा

आईटी सेक्टर की छंटनी भारतीय मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक गहरा संकट बनकर सामने आ रही है। वैश्विक मंदी और टेक्नोलॉजी में बदलाव के बीच सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र आईटी है, जिसने कभी युवाओं को करियर और स्थिरता का भरोसा दिया था। अब स्थिति यह है कि आज की पीढ़ी अपनी आय का 69% हिस्सा केवल लोन की EMI चुकाने में खर्च कर रही है, जबकि बचत और निवेश पर खतरे मंडरा रहे हैं।
आईटी सेक्टर की छंटनी का भयावह सच
भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों जैसे TCS, इन्फोसिस और विप्रो ने 2024 में ही 64,759 कर्मचारियों की छंटनी की है। 2025 की शुरुआत में TCS ने 12,000 से अधिक कर्मचारियों को हटाने का ऐलान किया, वहीं इन्फोसिस ने नई भर्तियों को रोक दिया और विप्रो भी लक्षित छंटनी कर रही है। जून-सितंबर 2024 के बीच ही इन कंपनियों से 21,000 से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी गई।
छंटनी के कारण
आईटी सेक्टर की छंटनी के पीछे कई कारण हैं। ऑटोमेशन और AI की वजह से पारंपरिक कोडिंग और टेस्टिंग की जरूरत कम हो गई है। अमेरिका और यूरोप से आने वाले प्रोजेक्ट्स में गिरावट के कारण आईटी सेवाओं की मांग कमजोर हुई है। इसके अलावा प्रॉफिट बनाए रखने के दबाव में कंपनियां कॉस्ट कटिंग कर रही हैं।
भारतीय घरों पर कर्ज का बोझ
छंटनी के बीच भारतीय परिवारों का कर्ज संकट गहराता जा रहा है। घरेलू कर्ज 2021 में GDP का 36.6% था, जो 2024 में 42.9% तक पहुंच गया। पर्सनल लोन और अनसिक्योर्ड लोन तेजी से बढ़े हैं। आज की पीढ़ी होम लोन, कार लोन, क्रेडिट कार्ड डेट और एजुकेशन लोन के दबाव में है। ब्याज दरों के बढ़ने से EMI लगातार महंगी हो रही है।
युवा पीढ़ी की आय और निवेश
एक बड़ा संकट यह है कि युवा अपनी आय का 69% हिस्सा EMI में खर्च कर रहे हैं। बचत घट रही है और निवेश रिस्की ऑप्शन्स में हो रहा है। म्यूचुअल फंड और शेयर मार्केट में अस्थिरता से पैसे डूबने का खतरा और बढ़ गया है। वैश्विक राजनीतिक तनाव, युद्ध और मंदी ने इस संकट को और गहरा बना दिया है।
नौकरी जाने पर आने वाली चुनौतियां
आईटी सेक्टर की छंटनी से प्रभावित परिवारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सर्वाइवल की है। EMI न चुका पाने से क्रेडिट स्कोर गिर सकता है, बैंक नोटिस और लीगल एक्शन हो सकता है। बच्चों की शिक्षा, मेडिकल जरूरतें और जीवनशैली सब पर असर पड़ता है। मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव स्थिति को और कठिन बना देते हैं।
सर्वाइवल और समाधान की रणनीति
इस संकट से निपटने के लिए इमरजेंसी फंड बनाना, कर्ज प्रबंधन करना, नई स्किल्स सीखना और इनकम डाइवर्सिफिकेशन पर ध्यान देना जरूरी है। फ्रीलांसिंग, साइड बिजनेस और सुरक्षित निवेश विकल्प अपनाना भी सहायक हो सकता है। सरकार और इंडस्ट्री से भी उम्मीद है कि वे रि-स्किलिंग प्रोग्राम और फाइनेंशियल लिटरेसी को बढ़ावा दें।
निष्कर्ष
आईटी सेक्टर की छंटनी का असर केवल रोजगार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे पर भी पड़ेगा। जो लोग अभी से तैयारी करेंगे, वे इस संकट से मजबूत होकर निकल सकते हैं। यह समय है वित्तीय अनुशासन, स्किल अपग्रेडेशन और सही निवेश रणनीति अपनाने का।
स्रोत: Bloomberg