चीन अमेरिकी बॉन्ड्स डंपिंग: डॉलर पर खतरा

चीन अमेरिकी बॉन्ड्स डंपिंग डॉलर खतरा

क्या चीन गुप्त रूप से अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे रहा है?

आज की दुनिया में जो सबसे बड़ा आर्थिक भूकंप आने वाला है, वो है चीनी रणनीति, यानी चीन अमेरिकी बॉन्ड्स डंपिंग। यह केवल एक आर्थिक कदम नहीं है, बल्कि एक गुप्त युद्ध है जो डॉलर की वैश्विक प्रभुता को हिलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

चीन की बॉन्ड डंपिंग: चौंकाने वाले आंकड़े

चीन की अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड्स की होल्डिंग दिसंबर 2024 में घटकर 759 बिलियन डॉलर हो गई, और यह एक साल में लगातार नौवां महीना है जब चीन ने अमेरिकी सरकारी कर्ज को कम किया है। यह कोई संयोग नहीं है – यह एक सुनियोजित चीन अमेरिकी बॉन्ड्स डंपिंग रणनीति है।

सोने में निवेश: चीन की गुप्त रणनीति

जबकि चीन अमेरिकी बॉन्ड्स को बेच रहा है, चीन के सोने के भंडार 2025 की पहली तिमाही में बढ़कर 2292.31 टन हो गए हैं। यह दिखाता है कि चीन सिर्फ डॉलर से दूरी नहीं बना रहा, बल्कि अपनी संपत्ति को ज्यादा सुरक्षित एसेट्स में शिफ्ट कर रहा है।

यह रीबैलेंसिंग डॉलर एसेट्स का तुरंत या पूर्ण परित्याग नहीं है, बल्कि पोर्टफोलियो संरचना में एक क्रमिक बदलाव है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) अभी भी डॉलर पोजीशन बनाए रखती है लेकिन धीरे-धीरे सोने जैसी वैकल्पिक संपत्तियों में विविधीकरण कर रही है।

डॉलर पर प्रभाव: अर्थव्यवस्था की जड़ें हिलना
चीन की यह रणनीति, यानी चीन अमेरिकी बॉन्ड्स डंपिंग, डॉलर के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। चीन अपनी यूएस ट्रेजरी होल्डिंग्स को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है – उन्हें कम कीमत पर बेचकर डॉलर को कमजोर कर सकता है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव
तत्काल प्रभाव:
ब्याज दरों में वृद्धि

डॉलर की कमजोरी

मुद्रास्फीति का दबाव

दीर्घकालिक प्रभाव:
वैश्विक डॉलर भंडार में गिरावट

अमेरिकी फाइनेंसिंग कॉस्ट में वृद्धि

डॉलर की रिजर्व करेंसी स्टेटस को चुनौती

विश्व अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विकासशील देशों के लिए अवसर:
युआन, यूरो और सोने की भूमिका बढ़ सकती है

द्विपक्षीय व्यापार में स्थानीय मुद्राओं का उपयोग

वैश्विक अस्थिरता:
मुद्रा युद्ध

कमोडिटी कीमतों में उछाल

भारत के लिए क्या मायने रखता है?
भारत के लिए यह स्थिति दोनों—सकारात्मक और नकारात्मक—परिप्रेक्ष्य रखती है:
रुपया मजबूत हो सकता है, वैश्विक अस्थिरता से निर्यात प्रभावित हो सकता है, एनर्जी अधिक महंगी हो सकती है।

दो महाशक्तियों के बीच बढ़ते तनाव
यह सिर्फ आर्थिक कदम नहीं है—यह चीन अमेरिकी बॉन्ड्स डंपिंग के जरिये एक रणनीतिक संदेश भी है। चीन अमेरिका को दिखा रहा है कि वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकता है।

 

Suggested External Authoritative Link:
World Bank या IMF की आधिकारिक रिपोर्ट जहाँ डॉलर और वैश्विक रिजर्व करेंसियों पर हाल के डेटा उपलब्ध हों।

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