बिहार चुनाव 2025: जमीनी हकीकत और नए समीकरण

बिहार चुनाव 2025 के लिए पोस्टर और भीड़

बिहार चुनाव 2025 में क्या होगा – यह आज सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला प्रश्न है। एक तरफ नोएडा स्टूडियो में बैठे विशेषज्ञ अयाम-व्यायाम से कयास लगा रहे हैं, राजनीतिक दल अपनी ताकत संजोने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर जमीन पर क्या चल रहा है, आज उसकी बात करेंगे।

अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने वाले इस चुनाव में कुल 243 सीटों पर मुकाबला होगा। बिहार चुनाव 2025 इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि माटी के लाल का चोला पहनकर एक नई शख्सियत (प्रशांत किशोर) बिहार में बड़ा उलटफेर करने का दंभ भर रही है। वहीं NDA और महागठबंधन अपनी ताल ठोक रहे हैं। ओवैसी की पार्टी भी “एकला चलो रे” के मार्ग पर है और सीमांचल में इनका अच्छा दबदबा है।

राजद का जमीनी आधार: मजबूत कैडर, बिखरे वोट

पेंच कहां-कहां फंस रहा है, उसपर नजर डालते हैं। राजद लालू जी के समय से जमीन से जुड़ी पार्टी रही है। महागठबंधन में जमीनी कैडर उसी के पास है। विडंबना यहां यह है कि यादव वोट बैंक तेजस्वी के साथ भले हो, परंतु वोट सिर्फ राजद को ही देने के मूड में है। जमीन का नेता और कार्यकर्ता यदि कांग्रेस का प्रत्याशी आया तो शायद उसको हरवा दे।

संजय यादव का विवादास्पद किरदार

एक व्यक्ति संजय यादव है जो हरियाणा से आते हैं और उनकी मर्जी के बगैर कोई तेजस्वी से मिल नहीं सकता। यह दर्द राजद के कैडर में है। यदि इसका कोई समाधान नहीं मिला तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

मुस्लिम वोट बैंक में बदलाव की हवा

मुस्लिम पक्ष को यह लग रहा है कि वोट मुस्लिमों का राजद को जाता रहा, लेकिन सत्ता में भागीदारी के नाम पर कुछ हासिल नहीं हुआ। प्रशांत किशोर का मुस्लिमों को बराबर की भागीदारी का वादा पसंद आ रहा है। परंतु प्रशांत किशोर का ब्राह्मण होने से मुस्लिमों को थोड़ी दिक्कत है।

मुस्लिम मददगार वक्फ के नाम पर लामबंद हैं। बीजेपी को किसी भी कीमत पर हराना चाहते हैं। गांधी मैदान की रैली में तेजस्वी का वक्फ के समर्थन का बयान लोगों को पसंद आया।

पसमांदा मुस्लिम और NDA का रिश्ता

पसमांदा मुस्लिमों का एक पक्ष बीजेपी या NDA के पक्ष में दिखता है। जिसको यह लगता है कि केंद्र की गरीब कल्याण स्कीम उन्हें मिलती रहेगी यदि NDA की सरकार बनी।

अगड़ी जातियों की स्थिति और NDA का भविष्य

अगड़ी जातियां NDA से विमुख हों, अभी यह लग नहीं रहा। NDA की सरकार बनेगी और नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे – ऐसा जदयू का दावा है। बिहार की राजनीतिक परिपक्वता मेरे हिसाब से भारत में बेहतरीन है।

चिराग पासवान और दलित राजनीति

पासवानों का वोट चिराग की तरफ अभी से एकमुश्त है। पिछली बार चिराग ने जदयू के वोट काटे थे, इस बार वह साथ है। यह NDA के लिए एक बड़ा फायदा है।

पूर्णिया की राजनीति: पप्पू यादव का प्रभाव

पूर्णिया क्षेत्र में पप्पू यादव का खासा प्रभाव है। वह खुलकर राहुल गांधी के लिए खेल रहे हैं। तेजस्वी और पप्पू के रिश्ते ईंट-कुत्ते के बैर समान हैं। लोक सभा चुनाव में यह दिख ही गया है।

चुनावी मुद्दे और भविष्य की दिशा

बिहार चुनाव 2025 में रोजगार, शिक्षा, महंगाई, कानून व्यवस्था और किसान कल्याण जैसे मुद्दे एक बार फिर प्रमुख भूमिका में होंगे। इन मुद्दों पर जनता का फैसला ही चुनाव का परिणाम तय करेगा।

निष्कर्ष: कन्फ्यूजिंग स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

कुल मिलाकर अभी स्थिति बहुत कन्फ्यूजिंग है। जीत-हार का पता टिकट बंटवारे से साफ हो जाएगा। यदि संजय यादव की चली तो राजद में टिकट जमीनी नेताओं को नहीं बल्कि थोपे गए प्रत्याशियों को मिलेगा, जिसका नुकसान उन्हें होगा। जितनी ज्यादा सीटों पर कांग्रेस लड़ेगी, उतना नुकसान भी महागठबंधन को होना तय है।

प्रशांत किशोर का प्रत्याशी जहां मजबूत दिखेगा, मुस्लिम शायद उनको वोट करें। मुकाबला दिलचस्प होगा, इसमें कोई दो राय नहीं है।

अगला अपडेट: 5 अगस्त के बाद दूंगा, तब तक चीजें और साफ हो जाएंगी।

यह विश्लेषण वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और जमीनी हकीकत पर आधारित है। चुनावी समीकरण तेजी से बदलते रहते हैं।

https://eci.gov.in – भारत निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट से बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें और अधिसूचना।

Disclaimer : यह लेख लेखक के निजी विचारों पर आधारित है। इसमें व्यक्त किए गए मत, विचार और विश्लेषण लेखक के स्वयं के हैं और यह आवश्यक नहीं कि हमारे संगठन, प्लेटफ़ॉर्म या किसी संस्था की आधिकारिक नीति या विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों। पाठकों से निवेदन है कि वे इस सामग्री को केवल सूचना और विमर्श के उद्देश्य से लें।

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