भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग और राजनीति संकट: लोकतंत्र को खतरा

भारत में सोशल मीडिया का राजनीतिक दुरुपयोग

भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग बना लोकतंत्र के लिए खतरा

आज भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की अनियंत्रित होड़ हमारे लोकतंत्र की नींव को चुनौती दे रही है। राजनीतिक दल मर्यादाओं को तोड़कर सत्ता के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं।

सोशल मीडिया: जागरूकता या दिग्भ्रम?

सोशल मीडिया आज के युग में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है। लेकिन क्या यह भारतीय जनता को जागरूक कर रहा है या दिग्भ्रमित? यह एक बड़ा प्रश्न है। एक तरफ जहाँ यह जानकारी पहुँचाता है, वहीं इसका दुरुपयोग समाज में अराजकता फैला रहा है।

व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर फैलने वाली गलत सूचनाओं ने कई बार गंभीर स्थितियाँ उत्पन्न की हैं। संदर्भ से हटाकर वीडियो क्लिप्स शेयर करना एक आम रणनीति बन चुकी है।

राजनीतिक दलों का हथियार: सोशल मीडिया

राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया को बहस नहीं, बल्कि नैरेटिव युद्ध का हथियार बना लिया है। समस्याओं के समाधान के बजाय निजी स्वार्थों की पूर्ति प्राथमिकता बन गई है।

हर दल नैरेटिव गढ़ने में व्यस्त है। ‘देश पहले’ अब केवल नारे बनकर रह गए हैं। यह लोकतांत्रिक गिरावट की ओर इशारा करता है।

चुनावी प्रबंधन का व्यावसायीकरण

भारत में चुनाव अब कार्यकर्ताओं के बजाय ‘इलेक्शन मैनेजर्स’ की टीम द्वारा लड़े जा रहे हैं। इनका लक्ष्य सिर्फ एक होता है — किसी भी कीमत पर जीत।

इलेक्शन मैनेजमेंट एक नया उद्योग बन चुका है, जहाँ भ्रम फैलाना, नैरेटिव बनाना और जनता को गुमराह करना आम रणनीति बन गई है।

सूचना प्रदूषण की समस्या

भारत में 100 करोड़ से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए सही-गलत की पहचान करना मुश्किल हो गया है।

यह सूचना प्रदूषण न केवल लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है बल्कि समाज में अविश्वास और तनाव भी बढ़ा रहा है।

एल्गोरिदम और पूर्वधारणाएं

यूट्यूब और गूगल जैसे प्लेटफॉर्म एल्गोरिदम के आधार पर वही सामग्री दिखाते हैं जो आपकी पूर्व धारणा से मेल खाती हो।

इससे निष्पक्ष राय बनना और सत्य तक पहुँचना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

समाधान की दिशा

भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इस पर त्वरित संज्ञान लेना चाहिए। सही और गलत सामग्री को अलग करना और दंडात्मक कार्रवाई आवश्यक है।

सोशल मीडिया पर तथ्य आधारित और संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए सख्त तकनीकी समाधान की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

भारत में सोशल मीडिया का दुरुपयोग और राजनीतिक दलों की स्वार्थपरक नीति लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुके हैं।

राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी समझनी होगी। सोशल मीडिया का प्रयोग सूचना के लिए हो, न कि भ्रम के लिए। तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।

बाहरी स्रोत:

PRS Legislative Research – लोकतांत्रिक संस्थाओं पर विश्लेषण

 

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