भारत में हार्ट अटैक के मामलों में 20% की वृद्धि: कारण और रोकथाम उपाय

भारत में हार्ट अटैक रोकथाम के उपाय और जागरूकता

भारत में हार्ट अटैक की चिंताजनक स्थिति

भारत में हार्ट अटैक के मामले खतरनाक गति से बढ़ रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि अब 30-50 वर्ष के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हाल के अध्ययनों के अनुसार, भारत में हार्ट अटैक के मामलों में 20% की वृद्धि हुई है।

भयावह आंकड़े: वैश्विक परिप्रेक्ष्य

भारत में प्रतिवर्ष लगभग 45 लाख अचानक हृदयगति रुकने (SCD) के मामले दर्ज होते हैं। सबसे डरावना पहलू यह है कि 30-50 आयुवर्ग के लोग तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। ये आंकड़े साबित करते हैं कि हृदय रोग अब केवल वरिष्ठ नागरिकों की समस्या नहीं रही।

हार्ट अटैक के प्रमुख कारण

1. आनुवंशिक प्रवृत्तियाँ

भारतीयों में प्लाज्मिनोजन एक्टिवेटर इनहिबिटर (PAI-1), सी-रिएक्टिव प्रोटीन और होमोसिस्टीन का स्तर प्राकृतिक रूप से अधिक होता है। इस कारण भारतीयों में हार्ट अटैक का जोखिम अधिक होता है, जिसकी शुरुआत कम उम्र में होती है और मृत्यु दर भी ऊँची है।

2. अस्वस्थ जीवनशैली

असंतुलित आहार, शारीरिक निष्क्रियता, तंबाकू सेवन और अत्यधिक शराब का सेवन प्रमुख कारण हैं। गतिहीन जीवनशैली और संबंधित रोग जैसे उच्च रक्तचाप, मोटापा और मधुमेह हार्ट अटैक को ट्रिगर करते हैं।

3. शहरीकरण और मानसिक तनाव

तेजी से हो रहा शहरीकरण, बढ़ता तनाव का स्तर और जीवनशैली जनित रोगों का प्रभाव हार्ट अटैक मामलों में वृद्धि के मूल कारण हैं।

4. COVID-19 का दीर्घकालिक प्रभाव

COVID-19 संक्रमण के बाद हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा वर्षों तक बना रह सकता है। यह खतरा विशेष रूप से A, B और AB ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों में अधिक देखा गया है।

हार्ट अटैक के चेतावनी संकेत

1. दीर्घकालिक लक्षण (हमले से 1 महीने पूर्व)

सांस लेने में तकलीफ, असामान्य थकान और नींद में व्यवधान जैसे लक्षण हार्ट अटैक से पूर्व दिखाई दे सकते हैं। सीने में दर्द या दबाव (एनजाइना) जो आराम करने पर भी कम न हो, प्रारंभिक चेतावनी का संकेत हो सकता है।

2. तात्कालिक संकेत (हमले से कुछ घंटे पूर्व)

सीने में बेचैनी, बाँहों, गर्दन या जबड़े में दर्द, सांस की तकलीफ मुख्य चेतावनी संकेत हैं। थकान, मतली और ठंडा पसीना आना भी गंभीर संकेत हैं जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए।

3. मूक हार्ट अटैक के संकेत

सभी हार्ट अटैक अचानक या नाटकीय नहीं होते। ठंडे पसीने, पेट में असुविधा और जी मिचलाना मूक हार्ट अटैक के प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं।

रोकथाम के प्रभावी उपाय

1. जीवनशैली में सुधार

हृदय-स्वास्थ्यपरक आदतें अपनाना आवश्यक है: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, रक्त शर्करा एवं कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण और धूम्रपान त्याग।

2. नियमित स्वास्थ्य जांच

नियमित हृदय जांच और स्वास्थ्य जागरूकता हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने की कुंजी है।

3. आपातकालीन प्रतिक्रिया

हार्ट अटैक के किसी भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत 102/108 अथवा नजदीकी आपातकालीन सेवा से संपर्क करें। हल्के लक्षणों को भी कभी नजरअंदाज न करें।

समाधान के स्तरीय उपाय

व्यक्तिगत स्तर पर

– **आहार सुधार**: फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से युक्त संतुलित आहार
– **शारीरिक गतिविधि**: प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम
– **तनाव नियंत्रण**: योग, ध्यान और श्वास तकनीकों का अभ्यास
– **नशा त्याग**: धूम्रपान और शराब का पूर्णतया परित्याग

सामाजिक स्तर पर

– **जागरूकता अभियान**: हृदय स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा
– **स्वास्थ्य सुविधाएँ**: गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं की पहुँच
– **पर्यावरणीय कारक**: वायु प्रदूषण और अन्य जोखिमों में कमी

सरकारी स्तर पर

– **स्वास्थ्य नीतियाँ**: हृदय रोग निवारण हेतु व्यापक कार्ययोजना
– **अवसंरचना विकास**: उन्नत कार्डियक केयर सुविधाएँ
– **अनुसंधान**: भारतीय जनसंख्या के लिए विशिष्ट उपचार विकसित करना

निष्कर्ष: सतर्कता ही सुरक्षा

भारत में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले एक गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल का संकेत हैं। व्यक्तिगत जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव, नियमित जाँच और समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप द्वारा इस संकट से निपटा जा सकता है। हार्ट अटैक के प्रारंभिक संकेतों की पहचान जीवनरक्षक सिद्ध हो सकती है।

स्वास्थ्य सलाह: यह लेख चिकित्सा अनुसंधानों पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या हेतु योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

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