भारत का साहसिक कदम: अमेरिका में BRICS बैठक आयोजित
भारत का साहसिक कदम वैश्विक स्तर पर चर्चा में है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना और विरोध के बावजूद न्यूयॉर्क में BRICS देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की। यह निर्णय भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत है।
ट्रंप की टैरिफ़ धमकी और BRICS की एकजुटता
हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि BRICS देश डॉलर के विकल्प तलाशेंगे तो उन पर 50% तक का आयात शुल्क लगाया जाएगा। ऐसे समय में भारत का साहसिक कदम बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। बैठक की तस्वीरें साझा करते हुए जयशंकर ने कहा कि बढ़ते संरक्षणवाद, टैरिफ़ की अस्थिरता और गैर-टैरिफ़ बाधाओं से व्यापारिक प्रवाह प्रभावित हो रहा है। इसलिए BRICS को मिलकर बहुपक्षीय व्यापार की रक्षा करनी चाहिए।
भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और वैश्विक संदेश
अमेरिका में रहकर ही बैठक आयोजित करना दर्शाता है कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है और किसी भी दबाव में झुकने वाला नहीं। यह कदम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की उस नीति को भी रेखांकित करता है जो दशकों से भारत की कूटनीति की आधारशिला रही है।
इस घटना का महत्व तीन स्तरों पर है: आर्थिक स्वतंत्रता, साझेदारी की शक्ति और संतुलित नीति। भारत ने दिखा दिया है कि वह अमेरिका के साथ रिश्ते बनाए रखते हुए भी अपने राष्ट्रीय हितों और सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा।
ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और उनके टैरिफ़ युद्ध के खिलाफ BRICS देशों का यह स्टैंड वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए नई चुनौती है। भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया कि वह मुक्त और निष्पक्ष व्यापार का समर्थन करता है, न कि संरक्षणवाद का।
इस कदम से साफ है कि भारत बहुपक्षीय संस्थानों पर विश्वास करता है, आर्थिक धमकियों के आगे नहीं झुकता और वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता देता है। यह भारत का साहसिक कदम उसके बढ़ते आत्मविश्वास और वैश्विक भूमिका का प्रमाण है।
निष्कर्ष: जयशंकर का यह कदम न केवल भारत की विदेश नीति की स्वतंत्रता को उजागर करता है बल्कि अन्य छोटे और मध्यम देशों को भी प्रेरित करता है कि एकजुट होकर वे बड़ी शक्तियों के दबाव का सामना कर सकते हैं।
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