अमेरिका stable-coin रणनीति: डॉलर दबदबे की नई चाल और 35 ट्रिलियन डॉलर ऋण समाधान
अमेरिका stable-coin रणनीति ने पिछले कुछ दिनों में वैश्विक वित्तीय जगत को हिला दिया है। हाल ही में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के वरिष्ठ सलाहकार एंटन कोबाकॉव ने ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में दावा किया कि वाशिंगटन stable coin, क्रिप्टोकरेंसी और यहां तक कि सोने का उपयोग करके अपने 35 ट्रिलियन डॉलर ऋण को चुपचाप कम करने की योजना बना रहा है। उन्होंने चेताया कि यह रणनीति केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, जो इस ग्रह पर आर्थिक जीवन जी रहा है।
अमेरिका stable-coin रणनीति और डॉलर का दबदबा
डॉलर की अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित मुद्रा के रूप में स्थिति लंबे समय से मजबूत रही है, लेकिन बढ़ते अमेरिकी ऋण, व्यापार युद्धों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों ने इसे चुनौती दी है। अब अमेरिका ने डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में एक कदम उठाया है। इस योजना के तहत सभी अमेरिकी stable coin को अमेरिकी ट्रेजरी या नकदी द्वारा 1:1 अनुपात में समर्थित करना अनिवार्य किया गया है। साथ ही सार्वजनिक ऑडिट और सख्त अनुपालन नियम लागू किए गए हैं, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
इसका सीधा अर्थ है कि हर stable coin जारी होने के बदले अमेरिकी सरकार का ऋण(Treasury Bill) खरीदा जाएगा। यह तरीका सरकार को नया पैसा छापने या कर बढ़ाने से बचाता है। निजी कंपनियां इन ट्रेजरी बॉन्ड को खरीदती हैं और बदले में उन्हें लगभग 4% का ब्याज लाभ मिलता है। यह मॉडल अमेरिकी ऋण प्रबंधन को सरल बनाता है और वैश्विक स्तर पर डिजिटल डॉलर की मांग को बढ़ावा देता है।
वैश्विक वित्तीय संतुलन पर व्यापक प्रभाव
अमेरिका stable-coin रणनीति से stable coin जारी करने वाली कंपनियों को अरबों डॉलर का ब्याज मुनाफा प्राप्त होगा। दूसरी ओर, अमेरिका डॉलर को डिजिटल रूप देकर अपने दबदबे को मजबूत करता है। रूस, चीन और अन्य प्रतिस्पर्धी देशों के लिए यह रणनीति वित्तीय युद्ध जैसी लगती है, क्योंकि stable coin अब डॉलर के प्रॉक्सी के रूप में वैश्विक व्यापार पर अमेरिका की पकड़ को मजबूत करेंगे।
यह कदम केवल एक भुगतान प्रणाली बनाने का प्रयास नहीं है, बल्कि आईएमएफ या जी20 जैसी संस्थाओं को दरकिनार कर वैश्विक वित्तीय नियमों को फिर से लिखने जैसा है। जब ट्रेजरी बॉन्ड पर ब्याज दर 4% है और मुद्रास्फीति 5% है, तब अमेरिका वास्तविक रूप में कम भुगतान करके अपने ऋण को संभाल सकता है। इस स्थिति में stable coin जारीकर्ता और विदेशी खरीदार नुकसान सहते हैं, जबकि अमेरिका को लाभ होता है।
डॉलर को पहले सोने से समर्थित किया गया था, लेकिन 1971 में यह प्रणाली समाप्त हो गई। अब stable coin को अमेरिकी ट्रेजरी से जोड़कर डॉलर का नया डिजिटल रूप तैयार किया जा रहा है। इससे न केवल अमेरिकी ऋण प्रबंधन आसान होगा बल्कि वैश्विक लेन-देन में डॉलर की भूमिका भी और मजबूत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति अमेरिकी वित्तीय शक्ति को आने वाले दशकों तक सुरक्षित करेगी।
हालांकि आलोचक इसे हेरफेर के रूप में देखते हैं, समर्थक इसे एक दूरदर्शी और अभिनव कदम मानते हैं। कोबाकॉव जैसे आलोचकों का मानना है कि इससे अन्य देशों के भंडार और परिसंपत्तियां कमजोर होंगी। वहीं समर्थकों का कहना है कि यह अमेरिका के लिए ऋण लागत को कम करने और डिजिटल भुगतान नेटवर्क का विस्तार करने का अवसर है।
अंततः, अमेरिका stable-coin रणनीति केवल एक आर्थिक सुधार नहीं है, बल्कि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इसका असर हमारे व्यक्तिगत वित्तीय जीवन पर भी पड़ेगा—चाहे वह होम लोन हो, ऑटो लोन या अन्य वित्तीय लेन-देन। आने वाले समय में दुनिया को यह तय करना होगा कि इस रणनीति को अपनाना है, इसका विरोध करना है, या अपने स्वयं के विकल्प विकसित करने हैं।
IMF – International Monetary Fund
स्रोत: विभिन्न ऑनलाइन रिपोर्टों से संकलित जानकारी

