अमेरिका भारत-रूस गठजोड़ और ट्रंप की बौखलाहट

अमेरिका भारत-रूस गठजोड़ और ट्रंप की चिंता

अमेरिका भारत-रूस गठजोड़ के तहत ट्रंप की टिप्पणी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बौखलाहट विश्व मंच पर तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में उन्होंने भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं को “मृत अर्थव्यवस्था” कहते हुए कहा कि “वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ ले जा सकते हैं, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।” यह टिप्पणी भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के कुछ घंटों बाद आई है।

रूसी जवाब और Dead Hand का संकेत

ट्रंप के इस बयान का रूसी नेतृत्व ने तुरंत जवाब दिया। रूसी सुरक्षा परिषद के उप-अध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप के बयान का प्रत्युत्तर देते हुए “डेड हैंड” (Dead Hand) का संकेत दिया, जो सोवियत और रूसी परिमीटर सिस्टम का एक पश्चिमी नाम है—यह एक स्वचालित प्रणाली है जो व्यापक प्रतिशोधात्मक परमाणु हमले को नियंत्रित करती है।

शीत युद्ध के दौरान विकसित यह “डेड हैंड” सिस्टम यह स्पष्ट संकेत देता है कि रूस ट्रंप के दबाव को गंभीरता से ले रहा है और अपनी रणनीतिक क्षमताओं की याद दिला रहा है।

भारत की स्थिति और रणनीतिक चालें

भारत इस स्थिति में संयमित लेकिन मजबूत रुख रखे हुए है। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तथा 2025 तक निवेश को 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। यह दिखाता है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत अपनी आर्थिक नीतियों में स्वतंत्र निर्णय ले रहा है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि “भारत जहाँ से जरूरत हो, वहाँ से तेल खरीदेगा” — यह बयान अमेरिकी दबाव के सामने भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

भारत की इस स्वतंत्र नीति के चलते “अमेरिका भारत-रूस गठजोड़” की ताकत और बढ़ रही है।

Disclaimer :यह लेख लेखक के निजी विचारों पर आधारित है। इसमें व्यक्त की गई राय लेखक की व्यक्तिगत समझ और विश्लेषण को दर्शाती है। यह किसी संस्था, संगठन या प्रकाशक की आधिकारिक राय नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे प्रस्तुत विचारों को केवल संदर्भ के रूप में लें और किसी भी निर्णय के लिए स्वतंत्र रूप से अन्य स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें।

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