FY26 में भारत का व्यापार घाटा 300 अरब डॉलर छू सकता है, ICICI बैंक रिपोर्ट

भारत का व्यापार घाटा

ICICI बैंक ग्लोबल मार्केट्स की हालिया रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में भारत का वस्तु व्यापार घाटा बढ़कर 300 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। वर्ष 2024-25 (FY25) में यह घाटा 287 अरब डॉलर रहा था।

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को निर्यात में मजबूती के बावजूद अन्य देशों से कमजोर मांग और वैश्विक स्तर पर सुस्ती के कारण भारत का कुल निर्यात प्रभावित हुआ है। दूसरी ओर, घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती के चलते ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में तेजी बनी रहने की संभावना है।

जून 2025 के व्यापार आंकड़ों के मुताबिक, भारत का व्यापार घाटा घटकर 18.8 अरब डॉलर रह गया, जो मई 2025 में 21.9 अरब डॉलर था। इसका प्रमुख कारण गैर-तेल और गैर-सोना खंड में घाटे का कम होकर 7.8 अरब डॉलर (मई में 10.2 अरब) रह जाना है। तेल घाटा लगभग स्थिर रहा — जून में 9.2 अरब डॉलर और मई में 9.1 अरब डॉलर

रिपोर्ट में कहा गया,
“अमेरिका को निर्यात अब भी बेहतर स्थिति में है, लेकिन गैर-अमेरिकी निर्यात में सुस्ती बनी हुई है। ऐसे में वित्त वर्ष 2025-26 में कुल माल निर्यात कमजोर रह सकता है, जबकि आयात घरेलू मांग के कारण बढ़ सकता है।”

जून में अमेरिका को निर्यात में 24% की सालाना वृद्धि दर्ज की गई, जबकि अन्य देशों को निर्यात -5.6% घटा। Q1FY26 के दौरान अमेरिका को निर्यात में 22% बढ़त, जबकि अन्य देशों को निर्यात में 2.7% की गिरावट देखी गई।

जून 2025 में भारत के कुल निर्यात में मामूली 0.1% गिरावट आई और यह 35.1 अरब डॉलर रहा। इसमें तेल निर्यात 16% घटा, जबकि गैर-तेल निर्यात 2.9% बढ़ा

उद्योगवार प्रदर्शन में इलेक्ट्रॉनिक्स (47%), रसायन (3.9%), प्लास्टिक व रबर उत्पाद (2.3%), कृषि (1.6%) और इंजीनियरिंग वस्तुएं (1.3%) प्रमुख निर्यातक रहे।

रिपोर्ट आगे बताती है कि अमेरिकी टैरिफ नीतियों में अनिश्चितता वर्ष 2025 में वैश्विक व्यापार प्रवाह पर पहले से कहीं अधिक असर डाल सकती है। ट्रंप द्वारा 25 देशों पर हाल में लगाए गए नए टैरिफ से मांग में और गिरावट की आशंका जताई गई है।

हालांकि, भारत पर अब तक इसका सीमित प्रभाव पड़ा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि बनी हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया,
“अन्य एशियाई प्रतिस्पर्धियों पर ऊंचे टैरिफ के चलते, भारत को अमेरिका के आयात बाजार में कुछ उत्पादों के लिए अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का सुनहरा अवसर मिल सकता है।”

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