GTRI की चेतावनी: भारत न दोहराए अमेरिका-इंडोनेशिया जैसा असंतुलित व्यापार समझौता

नई दिल्ली, 23 जुलाई: थिंक-टैंक Global Trade Research Initiative (GTRI) ने भारत को चेताया है कि वह अमेरिका के दबाव में आकर असंतुलित व्यापार समझौता न करे जैसा कि हाल ही में इंडोनेशिया ने अमेरिका के साथ किया है।
GTRI ने अमेरिका-इंडोनेशिया समझौते को बताया चेतावनी
GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौता इंडोनेशिया के घरेलू नियमों को कमजोर करता है, बाजार को अमेरिका के लिए खोलता है और WTO में उसकी स्थायी स्थिति को नुकसान पहुंचाता है।
इंडोनेशिया ने किए बड़े समझौते, अमेरिका को भारी लाभ
इस समझौते के तहत इंडोनेशिया ने अमेरिकी निर्यात पर 99% टैरिफ हटाने पर सहमति दी है। इसके बदले अमेरिका केवल 19% टैरिफ लगाएगा, जो पहले 40% प्रस्तावित था।
साथ ही, इंडोनेशिया ने अमेरिका से कुल USD 22.7 बिलियन के उत्पाद खरीदने पर सहमति दी है, जिसमें USD 15 बिलियन ऊर्जा उत्पाद, USD 4.5 बिलियन कृषि उत्पाद और USD 3.2 बिलियन के बोइंग विमान शामिल हैं।
असंतुलित व्यापार समझौता कैसे करेगा इंडोनेशिया को नुकसान
GTRI के अनुसार, इंडोनेशिया ने स्थानीय सामग्री (Local Content) नियमों को हटाने पर सहमति दी है, जिससे अमेरिकी कंपनियां बिना स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे कारोबार कर सकेंगी। इससे इंडोनेशिया की MSMEs पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इंडोनेशिया को अब अमेरिकी वाहन सुरक्षा और उत्सर्जन मानकों को भी स्वीकार करना होगा। इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी कार निर्माता सीधे इंडोनेशिया में निर्यात कर सकेंगे, लेकिन इंडोनेशियाई वाहनों को अमेरिकी मानकों का पालन करना होगा।
पुराने रीमैन्युफैक्चर उत्पादों पर से प्रतिबंध हटाने से सस्ते अमेरिकी सेकंड-हैंड उपकरणों की भरमार हो सकती है, जिससे इंडोनेशिया की स्थानीय मशीनरी और इंजीनियरिंग फर्मों को नुकसान होगा।
भारत के लिए चेतावनी: GTRI
GTRI का मानना है कि अमेरिका अब भारत पर भी ऐसे ही असंतुलित व्यापार समझौते का दबाव बना रहा है, जिसमें जीएम फीड स्वीकार करना, डिजिटल व्यापार पर अमेरिकी नियम लागू करना, डेयरी और कृषि क्षेत्र को खोलना शामिल हैं।
ये केवल छोटे परिवर्तन नहीं हैं, बल्कि भारत की दीर्घकालीन आर्थिक स्वतंत्रता, सार्वजनिक स्वास्थ्य और घरेलू उद्योगों को प्रभावित करने वाले प्रमुख बदलाव होंगे।
भारत को क्या करना चाहिए?
GTRI ने सुझाव दिया है कि भारत को स्पष्ट लागत-लाभ मूल्यांकन के आधार पर ही कोई भी व्यापार समझौता करना चाहिए। खाद्य, स्वास्थ्य, डिजिटल और बौद्धिक संपदा जैसे क्षेत्रों में दी गई छूटें पारदर्शी, समान और भारत के विकास लक्ष्यों के अनुरूप होनी चाहिए।
अन्यथा, भारत को दीर्घकालिक नियंत्रण खोने और अल्पकालिक लाभ के लिए भविष्य में पछताना पड़ सकता है।
ट्रंप की व्यापार नीति का असर
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिन देशों से अमेरिका को व्यापार घाटा था, उन पर जवाबी टैरिफ लगाए। हालांकि उन्होंने 90 दिन के लिए यह टैरिफ स्थगित कर दिए, जिसमें भारत भी शामिल था। 1 अगस्त तक अतिरिक्त टैरिफ को स्थगित रखा गया है।
दूसरे कार्यकाल में ट्रंप ने टैरिफ पारस्परिकता की नीति दोहराई है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता जारी
भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय टीम वाशिंगटन डीसी में द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के लिए बातचीत कर रही है।
निष्कर्ष: GTRI की चेतावनी स्पष्ट है—भारत को किसी भी असंतुलित व्यापार समझौते से सतर्क रहना चाहिए और विकासशील देशों के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
ट्रंप की नीतियां: कैसे डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति अमेरिकी आर्थिक वर्चस्व को चुनौती दे रही है