झूठ पकड़ा गया: राहुल गांधी वोटर फ्रॉड केस की सच्चाई आई सामने
राहुल गांधी वोटर फ्रॉड केस में नया खुलासा हुआ है। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के बाद राहुल गांधी द्वारा लगाए गए वोटर फ्रॉड के आरोपों में अब सच्चाई सामने आ चुकी है। कांग्रेस नेता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ वोटर आईडी कार्ड दिखाए थे, जिन पर अब सवाल उठ रहे हैं।
महिला मुनेश ने खोला वोटर आईडी कार्ड का राज
हरियाणा की रहने वाली मुनेश नाम की महिला ने बताया कि राहुल गांधी वोटर फ्रॉड के तहत जो कार्ड दिखाया गया, उसमें उनकी जानकारी सही थी, लेकिन फोटो किसी ब्राजीलियन मॉडल की थी। मुनेश ने कहा, “जो कार्ड मेरे पास है, उसमें मेरी फोटो है, लेकिन राहुल गांधी ने जो दिखाया वह अलग है। मैंने खुद वोट डाला था, मुझे नहीं पता दूसरे कार्ड में किसकी फोटो है।”
मुनेश की जानकारी:
नाम: मुनेश
पति का नाम: नरेंद्र सिंह
मकान नं: 55
आयु: 43 वर्ष, लिंग: महिला
अन्य मतदाताओं की प्रतिक्रियाएं
कई मतदाताओं ने राहुल गांधी वोटर फ्रॉड के आरोपों पर सवाल उठाए हैं। हिसार के रामकिशोर ने कहा कि उन्होंने खुद वोट डाला था, लेकिन कार्ड में गलत फोटो दिखाई गई। जींद की सुनीता देवी ने कहा कि उनके परिवार ने बिना किसी दिक्कत के मतदान किया। रोहतक के विनोद कुमार का कहना है कि चुनाव आयोग ने पारदर्शी चुनाव करवाया और कांग्रेस को हार स्वीकार करनी चाहिए। करनाल की कमला देवी ने इसे राजनीतिक नाटक बताया।
कानूनी पहलू और BNS की धाराएं
इस प्रकरण पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की कई धाराएं लागू हो सकती हैं। इनमें धारा 336 (जालसाजी), धारा 337 (धोखाधड़ी से जालसाजी), धारा 340 (सरकारी दस्तावेज की जालसाजी), धारा 353 (झूठे साक्ष्य देना), धारा 356 (न्याय को प्रभावित करने के लिए झूठे साक्ष्य), धारा 171(च) व 171(छ) (चुनावी भ्रष्टाचार), धारा 318 (मानहानि), धारा 351 (आपराधिक धमकी), और धारा 61(2) (षड्यंत्र) शामिल हैं। इन धाराओं के तहत अधिकतम सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है।
चुनाव आयोग और विशेषज्ञों की राय
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी वोटर फ्रॉड के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हरियाणा में चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी रहे। आयोग ने शिकायतों की जांच की और कोई अनियमितता नहीं पाई।
चुनाव विश्लेषक डॉ. अजय वर्मा का कहना है कि बिना सबूत के ऐसे आरोप लोकतंत्र को कमजोर करते हैं। वहीं, अधिवक्ता सुरेश मेहता ने कहा कि वोटर आईडी कार्ड में छेड़छाड़ गंभीर अपराध है और इसकी जांच होनी चाहिए।
निष्कर्ष
मुनेश और अन्य मतदाताओं के बयानों से स्पष्ट है कि राहुल गांधी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए गए कार्ड फर्जी थे। मतदाताओं ने सही तरीके से वोट डाला था और उनके पास असली दस्तावेज मौजूद हैं। राहुल गांधी वोटर फ्रॉड मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों रूप से गंभीर है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए ऐसे झूठे आरोपों की निष्पक्ष जांच जरूरी है।
सच्चाई सामने आ गई है — झूठ पकड़ा गया!
संदर्भ: https://eci.gov.in (भारत निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट)

