नया आयकर अधिनियम 2025: ₹4 लाख तक टैक्स फ्री और नई स्लैब दरें

नया आयकर अधिनियम 2025 के बदलाव और कर स्लैब

नया आयकर अधिनियम 2025 भारत की कर व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार लाने वाला है। भारत सरकार ने 22 अगस्त 2025 को इसे अधिसूचित किया है और यह 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। यह कदम छह दशकों से लागू 1961 के आयकर अधिनियम को बदल देगा और करदाताओं के लिए नई प्रक्रिया को सरल बनाने का लक्ष्य रखता है।

नया आयकर अधिनियम 2025: मुख्य संरचनात्मक बदलाव

धाराओं और अध्यायों में कमी

नए अधिनियम में धाराओं की संख्या 819 से घटाकर 536 कर दी गई है, और अध्यायों की संख्या 47 से घटाकर 23 कर दी गई है। शब्दों की संख्या भी लगभग आधी हो गई है – 5.12 लाख शब्दों से घटकर 2.6 लाख शब्द।

नई संरचना की विशेषताएं

  • पहली बार, 39 नई तालिकाओं और 40 सूत्रों को शामिल किया गया है जो घने पाठ को प्रतिस्थापित करके प्रावधानों को स्पष्ट बनाते हैं
  • “टैक्स ईयर” की नई अवधारणा को शुरू किया गया है, जो वित्तीय वर्ष को प्रतिस्थापित करता है

16 प्रमुख बदलाव और सुधार

1. नई कर स्लैब व्यवस्था

नया अधिनियम व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) और अन्य करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था को धारा 202(1) के तहत प्रस्तुत करता है:

आय सीमा कर दर
₹4,00,000 तक कोई कर नहीं
₹4,00,001 से ₹8,00,000 5%
₹8,00,001 से ₹12,00,000 10%
₹12,00,001 से ₹16,00,000 15%
₹16,00,001 से ₹20,00,000 20%
₹20,00,001 से ₹24,00,000 25%
₹24,00,000 से अधिक 30%

2. धारा 87A के तहत बेहतर छूट

  • पुरानी सीमा: कुल आय ₹5,00,000 से अधिक नहीं होने पर देय आयकर या ₹12,500 (जो भी कम हो) की पूर्ण छूट
  • नई व्यवस्था: देय आयकर का 100 प्रतिशत या ₹60,000 (जो भी कम हो) की छूट उपलब्ध

3. “टैक्स ईयर” की नई अवधारणा

पहले के “पूर्व वर्ष” और “आकलन वर्ष” के भेद के स्थान पर एकीकृत “टैक्स ईयर” शब्द का प्रयोग।

4. हानि समायोजन (Loss Set-offs) में सख्त नियम

नया अधिनियम हानि समायोजन के नियमों को और अधिक स्पष्ट और सख्त बनाता है, जो व्यापारिक हानियों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा।

5. गैर-निवासियों के लिए नई कर व्यवस्था

अधिनियम में गैर-निवासी भारतीयों के लिए नए कर नियम और प्रावधान शामिल हैं।

6. कैपिटल गेन्स छूट में सीमाएं

लिस्टेड इक्विटी शेयरों से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ और इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड से LTCG पर धारा 87A छूट लागू नहीं होती। इन पर 12.5 प्रतिशत की निश्चित कर दर लागू होती है।

7. कॉर्पोरेट कर प्रावधानों में संशोधन

  • सीमित दायित्व भागीदारी (LLPs) से वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) हटाया गया
  • धर्मार्थ ट्रस्टों पर पहले की बाधाओं में छूट
  • ट्रांसफर प्राइसिंग संबंधी प्रावधानों में राहत

8. TDS/TCS नियमों में सरलीकरण

अप्रैल 2025 से आयकर अधिनियम 1961 की धारा 206AB और 206CCA दोनों को हटा दिया जाएगा ताकि कर कटौतीकर्ताओं/संग्रहकर्ताओं के अनुपालन बोझ को कम किया जा सके।

9. पेंशन लाभों में विस्तार

कम्यूटेड पेंशन – एकमुश्त पेंशन भुगतान – पर कर कटौती के लिए स्पष्ट प्रावधान। यह अधिनियम की अनुसूची VII में सूचीबद्ध अनुमोदित फंड से प्राप्त पेंशन पर लागू होता है।

10. संपत्ति कर में राहत

  • खाली संपत्ति पर काल्पनिक किराया-आधारित कर लेवी को समाप्त करना
  • संपत्ति आय गणना में स्पष्टता – नगरपालिका कर काटने के बाद 30 प्रतिशत मानक कटौती लागू करना और किराए की संपत्तियों पर गृह ऋण ब्याज कटौती का विस्तार

11. MSME परिभाषा में संगति

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की परिभाषा को MSME अधिनियम के साथ संगत बनाना।

12. डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए तैयारी

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को डिजिटल चालित अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के अनुकूल नियम बनाने का अधिक अधिकार प्रदान।

13. कर रिफंड में लचीलापन

निर्धारित तारीख के बाद रिटर्न दाखिल करने के मामलों में भी कर रिफंड के लिए अधिक लचीलेपन की शुरुआत।

14. एडवांस NIL-TDS सर्टिफिकेशन

कोई कर देनदारी न रखने वाले व्यक्तियों को पहले से NIL-TDS प्रमाणपत्र प्राप्त करने में सक्षम बनाना।

15. अंतर-कॉर्पोरेट डिविडेंड में राहत

धारा 80M कटौती को फिर से शामिल करना, जो वितरित लाभ पर दोहरे कराधान को कम करके कॉर्पोरेट करदाताओं को लाभ पहुंचा सकता है।

16. तकनीकी और भाषाई सुधार

नंबरिंग त्रुटियों और गलत क्रॉस-रेफरेंस को सुधारना, तथा संपत्ति वर्गीकरण में स्पष्टता।

व्यापक लाभ और उद्देश्य

सरलीकरण के मुख्य लक्ष्य

  1. अनुपालन बोझ में कमी: संशोधित आयकर स्लैब का उद्देश्य करदाताओं के बीच बचत बढ़ाना और जटिल कर नियोजन रणनीतियों और अनुपालन आवश्यकताओं से बचकर उनके अनुपालन बोझ को कम करना है
  2. कानूनी स्पष्टता: अनावश्यक और विरोधाभासी प्रावधानों को समाप्त करना विवादों को कम करने और कानूनी स्पष्टता बढ़ाने के लिए
  3. आधुनिकीकरण: नया आयकर अधिनियम कर कानूनों को सरल बनाने, मुकदमेबाजी कम करने, अनुपालन बढ़ाने और करदाताओं और अधिकारियों के लिए अधिक कर निश्चितता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है

स्टार्टअप के लिए विशेष प्रावधान

1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2025 के बीच निगमित योग्य स्टार्टअप दस वर्षों में से लगातार तीन आकलन वर्षों के लिए लाभ पर 100% कर छूट का लाभ उठा सकते हैं।

निष्कर्ष

नया आयकर अधिनियम 2025 भारत की कर व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार है। यह न केवल करदाताओं के लिए प्रक्रिया को सरल बनाता है बल्कि डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुरूप भी है। हालांकि, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि अधिनियम के प्रावधान तभी प्रभावी होंगे जब यह संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित हो और राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करे।

1 अप्रैल 2026 से यह नया कानून लागू होने के साथ, करदाताओं को इन बदलावों की जानकारी होना और तदनुसार अपनी कर योजना तैयार करना आवश्यक होगा। यह अधिनियम भारत को एक आधुनिक, पारदर्शी और कुशल कर व्यवस्था की दिशा में ले जाने का प्रयास है।

 

स्रोत: आयकर विभाग भारत सरकार

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