ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर सम्मेलन: यूक्रेन युद्ध पर विस्तृत विश्लेषण

ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर सम्मेलन 15 अगस्त 2025 को एंकरेज, अलास्का में हुआ, जहां दोनों नेताओं ने ढाई घंटे से अधिक समय तक बातचीत की। यह अब तक की सबसे लंबी आमने-सामने की बैठक थी, लेकिन यूक्रेन युद्ध पर कोई ठोस समझौता नहीं बन पाया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने और व्लादिमीर पुतिन ने “महान प्रगति” की है, हालांकि शांति प्रक्रिया अभी अधूरी है।
ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर सम्मेलन: मुख्य मुद्दे और परिणाम
इस बैठक में यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई। ट्रंप ने कहा, “जब तक समझौता नहीं होता, तब तक कोई समझौता नहीं है।” उन्होंने संकेत दिया कि कई बिंदुओं पर सहमति बनी है, लेकिन कुछ बड़े मुद्दे अनसुलझे हैं।
जीएसटी में बड़ा बदलाव: अब सिर्फ 5% और 18% टैक्स, लग्जरी पर 40%
यूक्रेन युद्ध पर प्रभाव
इस शिखर सम्मेलन का तत्काल परिणाम यह रहा कि कोई युद्धविराम समझौता नहीं हो पाया। हालांकि दोनों नेताओं ने प्रगति की बात कही। दीर्घकालिक स्तर पर, पुतिन की अडिग मांगें इस प्रक्रिया को और जटिल बनाती हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक कीव पर दबाव डालने की रणनीति भी हो सकती है।
रूसी और अमेरिकी दृष्टिकोण
बैठक के बाद पुतिन ने कहा कि चर्चा “गहन और उपयोगी” रही। रूस ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता रोकने और क्षेत्रीय नियंत्रण को अपनी मुख्य मांग बताया। वहीं ट्रंप ने कहा कि अब यह ज़ेलेंस्की पर निर्भर करता है कि वे आगे क्या कदम उठाते हैं।
भू-राजनीतिक रूप से, ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है क्योंकि अलास्का ऐतिहासिक रूप से अमेरिका-रूस संबंधों की संवेदनशील फ्रंट लाइन रहा है। यह बैठक दर्शाती है कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था पर यूक्रेन युद्ध का असर गहरा है।
निष्कर्षतः, यह शिखर सम्मेलन कुछ प्रगति का संकेत देता है लेकिन कोई निर्णायक मोड़ नहीं ला सका। युद्धविराम और शांति सुनिश्चित करने के लिए आगे और गहन कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती एक न्यायसंगत और टिकाऊ समाधान खोजना है।